Rajasthan News: राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकारी उदासीनता का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. राज्य में करीब एक साल पहले करोड़ों रुपये की डायलिसिस मशीनें खरीदी गई थी, लेकिन इनमे से ज़्यादातर आज भी पैक पड़ी हैं और किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगियों को इसकी वजह से इलाज नहीं मिल पा रहा.
करीब एक साल पहले तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने लगभग 40 करोड़ रुपये की लागत से 350 डायलिसिस मशीनें खरीदी थीं. इन मशीनों को प्रदेश के करीब 30 जिलों के अस्पतालों में लगाया जाना था. पिछले साल दिसंबर में राज्य की सत्ता पर बीजेपी काबिज हो गई, लेकिन अब तक ज्यादातर अस्पतालों में ये मशीन बंद कमरों में धूल खा रही है. ऐसे में मरीजों को खासकर ग्रामीण इलाकों के किडनी रोगियों को इन मशीनों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.
'ट्रेंड स्टाफ के अभाव में मशीनें पैक पड़ी हैं'
बस्सी हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ विजेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि बस्सी के अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ रहती है, लेकिन यहां मशीन अब तक लग नहीं पाई. इसकी वजह अस्पताल में ना तो नेफ्रोलॉजिस्ट है और ना ही इस मशीन को चलाने लायक योग्य स्टाफ है. वैसे तो नई खरीदी गई डायलिसिस मशीनों को जयपुर के अलावा कोटा, भरतपुर समेत दूसरे कई जिलों में भी भेजा गया था, लेकिन ज्यादातर जगह सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स और ट्रेंड स्टाफ के अभाव में मशीनें पैक ही पड़ी हैं.
राजस्थान के सबसे वीआईपी निर्वाचन क्षेत्र यानी सीएम भजन लाल शर्मा के चुनावी इलाके सांगानेर के अस्पताल का भी यही हाल है. यहां भी डायलिसिस मशीन अब तक नहीं लगी है.
महंगी दरों पर करवाना पड़ता है डायलिसिस
सांगानेर हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ. एमके जैन ने बताया कि सबसे अहम बात ये है कि करोड़ों की इन मशीनों की तीन साल की वारंटी होती है और इसमें से एक साल का वक्त तो मशीनों को काम में लिए बिना ही गुजर चुका है. इसकी वजह से प्रदेश भर हर दिन करीब दो हजार डायलिसिस करवाने वाले मरीजों में से काफी को निजी अस्पतालों में महंगी दरों पर डायलिसिस करवाना पड़ता है.
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