Kota News: सांगोद,फाल्गुन माह की तीज से सप्तमी तक चलने वाले न्हाण लोकोत्सव का आगाज आज से न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा (बाजार) की बारह भाले की सवारी के साथ हो गया.इससे पूर्व तगड़े पुलिस बंदोबस्त के बीच यहां बुधवार रात घूघरी का जुलूस निकाला गया.न्हाण अखाड़ा चौबे पाड़ा और न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा के अलग-अलग घूघरी के जुलूस मुख्य मार्गों से ढोल व नगाडों की थाप पर नाचते गाते निकाले गए.
चौधरी पाडा (बाजार पक्ष) की ब्रह्माणी माता मंदिर के सामने घूघरी जुलूस की तैयारियां परवान पर रहीं.यहां नगाड़ों की थाप के साथ ही न्हाण की रंगत जमने लग जाती है. लोगों को साल भर सांगोद के न्हाण का इंतजार रहता है.वहीं दूसरी और न्हाण अखाड़ा चौबे पाड़ा की घूघरी का जुलूस दाऊजी के मंदिर से रात को नगाड़ों के थाप के बीच शुरू हुआ. यह मुख्य बाजारों से होता हुआ अपने स्थान पर पहुंचा.ये संस्कृति पांच सौ साल पुरानी है. इसकी रंगत आए दिन बढती चली जा रही है.
बारह भाले की सवारी
दोनों पक्षों की ओर से जुलूस निकालकर मां ब्रह्माणी की पूजा-अर्चना की जाती है. उसके बाद पांच दिन तक चलने वाले लोकोत्सव की शुरूआत में गुरुवार को लुहारों के चौक से बाजार की बारह भाले की सवारी निकाली जाएगी.सवारी के समापन के बाद लुहारों के चौक में रातभर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इसमें कई बडे कलाकार भी भाग लेंगे. शुक्रवार तड़के मां भवानी की सवारी और शाम को बादशाह की सवारी निकलेगी.सवारी के लक्ष्मीनाथ के चौक में आगमन पर यहां स्थानीय कलाकारों की ओर से बादशाह के समक्ष हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन होगा.इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा (खाड़े) की बारह भाले की सवारी निकाली जाएगी.
अश्लील एवं फूहड़ नारेबाजी की परंपरा
न्हाण की परंपराओं के बीच भवानी की सवारी के बाद बादशाह की सवारी निकाली जाती है.बुधवार रात परंपरानुसार बाजार का जुलूस लुहारों के चौक से व खाड़े का जुलूस दाऊजी के मंदिर से शुरू हुआ.जुलूस में न्हाण के नगारों के साथ बड़ी संख्या में युवक एक दूसरे पक्ष के लोगों पर परम्परागत अश्लील और फूहड़ नारेबाजी कसते हुए निकले.जुलूस के बाद दोनों पक्षों की ओर से गेहूं और चने से बने प्रसाद का वितरण किया गया. सवारी के दौरान स्वांग लाने वाले कलाकारों को परंपरानुसार पेशगी बांटी गई.
देशभर के ट्रांसजेंडरों का जमावड़ा
कोटा संभाग में सांगोद में न्हाण की अपनी अनूठी परंपरा है. इसके गवाह एक लाख से भी अधिक लोग बनते हैं. कोटा ही नहीं दूर दराज से भी लोग सांगोद के न्हाण को देखने के लिए पहुंचते हैं.लोक संस्कृति का यह विशेष आयोजन आज भी उसी शान और शौकत के साथ परवान पर चढता जा रहा है. यहां देशभर के किन्नर भी पहुंचे हैं. वे अपनी कला को दिखाते हैं और जमकर नाचते-गाते हैं.इसके साथ ही वे अपनी परंपराओं का भी निर्वहन करते हैं.
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