Jodhpur News: पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर जिले में पिछले दिनों हिंदू पाक विस्थापित को आशियाना सरकार द्वारा उजाड़े जाने के बाद आशियाना देने की चर्चा देशभर में है. लेकिन भारत-पाक सरहद पर बसे जिले में एक ऐसा मामला भी सामने आया है, जिसमें 200 परिवार बीते चार दशक से अपने मकान पर मालिकाना हक पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. सरकार द्वारा आरक्षित जमीन का हवाला देकर उन्हें जहां बसे हुए हैं, वहां से भी हटाने की तैयारी की जा रही है.इससे नाराज सांसी समाज ने जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी (IAS Tina Dabi) से गुहार लगाई है. कलेक्टर से मिलने बड़े-बुजुर्गों के साथ ही काफी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी पहुंचे थे.
टीना डाबी ने दिलाया था घर
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले जैसलमेर में पाकिस्तान से आए हिंदू विस्थापितों के आशियाने पर सरकारी बुलडोजर चला था. विरोध के बाद टीना डाबी ने हिंदू पाक विस्थापितों को जमीन दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा पाक विस्थापितों को मकान का हक देने का भरोसा जताया था. वह उस पर खरी भी उतरी थीं. इसी आस को लेकर सांसी समाज के लोग भी जिला कलेक्टर टीना डाबी से मिलने पहुंचे. कलेक्टर से उनकी क्या बात हुई, इसका विवरण नहीं मिल पाया है. अब यह वक्त ही बताएगा कि कलेक्टर सांसी समाज के 200 परिवारों की गुहार कब सुनती हैं. कब उन्हें मकान का मालिकाना हक मिलता है.
घुमंतु अर्ध घुमंतु जनजाति में शामिल सांसी समाज के करीब 200 परिवारों का कुनबा 1990 से जैसलमेर में है. इन्हें मलका पोल से हटाकर गफूर भट्टा कच्ची बस्ती में शामिल कर बसाया गया था. वर्ष 2006 में फिर से मेन रोड से 200 फीट दूर का हवाला देते हुए इन्हें यहां से भी हटाया गया. सांसी समाज के लोगों को इस दौरान 15x30 के मकान का आश्वासन दिया गया. लेकिन उसके बाद यह लोग गफूर भट्टा बायपास रोड वार्ड नंबर 8 में रह रहे हैं.
क्या कहना है सांसी समाज का
जैसलमेर नगर परिषद के वार्ड चुनाव में इस वार्ड की पार्षद सकीना भी सांसी समाज से ही हैं. नगर परिषद की ओर से उन्हें दो बार हटाया गया लेकिन आज तक मकान का हक नहीं मिल पाया. सांसी समाज के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार का निर्देश है कि जो जहां है, उसे वही पट्टा देकर बसाया जाए. लेकिन हमारे साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. हमें आज तक अपने मकान का हक नहीं मिल पाया है.
पार्षद प्रतिनिधि चानणाराम का कहना है कि नगर परिषद आयुक्त ने कहा है कि गफूर भट्टा जहां सांसी समाज कब्जे कर रह रहा है, वो जगह ओसीएफ यानी आरक्षित जमीन है. वहां पर पट्टे जारी नहीं किए जा सकते हैं. अब ऐसे में सांसी समाज खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है. समाज के लोगों का कहना है कि लगभग 200 परिवारों का 2004 में इसी जगह सर्वे हुआ था. इन सब लोगों के पास पूरे दस्तावेज हैं. इसके बाद भी हमें मकान का हक नहीं मिल रहा है.
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