Sanwariya Seth Mandir in Chittorgarh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार (2 अक्टूबर) को चित्तौड़गढ़ जिले में जनसभा हुई. ये जनसभा जिले के मंडफिया स्थिति प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर के पार मेला ग्राउंड पर हुई. इस दौरान पीएम मोदी का विमान उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पर उतरा, यहां से वह हेलीकॉप्टर के जरिये चित्तौड़गढ़ के लिए रवाना हुए. चित्तौड़गढ़ में पीएम मोदी ने करीब सात हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया. इस दौरान पीएम मोदी ने प्रसिद्ध सांवलिया सेट मंदिर में पूजा अर्चना की. जिस मंदिर में पीएम मोदी ने पूजा की वह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आइये जानते हैं इसका इतिहास और खासियत-
सांवलिया सेठ मंदिर भगवान कृष्ण का है, जो उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया में स्थित है. यह उदयपुर शहर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां हर माह दानपात्र खोला जाता है, जिसमें करोड़ रुपए निकलते हैं. यही नहीं सोने चांदी के आभूषण के साथ सोने के बिस्किट और ईंटे तक निकलती हैं. इसके अलावा कीमती वाहनों की चाबियां भी निकलती हैं. यहां राजस्थान के साथ साथ मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम तक के भक्त आते हैं. यहां भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप वाली प्रतिमा की कृष्ण के रूप में पूजा अर्चना होती है.
'भक्त बनाते हैं भगवान को पार्टनर'
सांवलिया जी मंदिर एक मात्र ऐसा मंदिर है जिनके नाम के साथ सेठ जोड़ा जाता है, क्योंकि यहां भंडारा निकलता है. अब इतना भंडारा कैसे निकलता है? इसके पीछे लोगों की मान्यता है कि जो भी मन्नत मांगते हैं कि व्यापार अच्छा चला तो चढ़ावा चढ़ाऊंगा या प्रॉफिट का हिस्सा चढ़ाऊंगा. यानी वे भगवान कृष्ण को अपना पार्टनर तक बना लेते हैं. फिर मन्नत पूरी होने पर व्यवसाय में प्राप्त प्रॉफिट का हिस्सा यहां चढ़ाया जाता है. इसी कारण यहां काफी मात्रा में चढ़ावा आता हैं. चढ़ावे से क्षेत्र में कई विकास कार्य भी किये जाते हैं. मंदिर से चिकित्सालय निर्माण और कॉलेज निर्माण के लिए करोड़ों रुपए दिए गए.
क्या है इतिहास?
सांवलिया मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन भेरूलाल गुर्जर बताते हैं कि वैसे तो प्रतिमा की स्थापना कब हुई? इसकी जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है. यह कई सदी पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि क्षेत्र में एक ग्वाला था, जिसे सपने में भगवान सांवलिया सेठ आए और फिर वह गाय चराने जंगल में गया, तो उसे तीन प्रतिमाएं मिलीं. जिसमें एक वहीं स्थापित की एक पास ही भादसोड़ा और एक मंडफिया में जो सांवलिया सेठ है. कृष्णधाम सांवलिया जी में पहुंचने के लिए रेल मार्ग से आने पर निकटतम रेलवे स्टेशन निंबाहेड़ा एवं चित्तौड़गढ़ है. जबकि हवाई मार्ग के लिए डबोक- उदयपुर निकटतम एयरपोर्ट है. इसके साथ ही बस मार्ग से आने के लिए उदयपुर, भीलवाड़ा, निंबाहेड़ा, चित्तौड़गढ़ और नीमच आदि स्थानों से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है.
मंदिर में लगी है 15 करोड़ की स्पेशल लाइटिंग
सांवलिया सेठ मंदिर की बात करें तो अलग अलग समय में अलग बदलाव हुए हैं. मंदिर का चौथी बार जीर्णोद्वार हो चुका है. जिसमें सबसे पहले कच्चा मिट्टी का मंदिर, फिर पक्का मंदिर और उसके बाद कांच का बड़ा मंदिर जो कि सन 2000 तक रहा. उसके बाद वर्तमान में 50 करोड़ रुपए की लागत से गुजरात के अक्षरधाम की तर्ज पर बंशी पहाड़पुर के पत्थर का भव्य मंदिर व कॉरीडोर बना. अन्य कई विकास कार्य जारी है. यहीं नहीं हाल ही में करीब 15 करोड़ रुपए की लागत ने स्पेशल लाइटिंग लगवाई गई, जो देशभर के शायद ही किसी मंदिर में हो.