Kota News: हाड़ौती में कई प्रसिद्ध शिवालय हैं. यहां के जहां भव्य मंदिर और प्राकृतिक सौंदर्य काफी चर्चित हैं. कहीं महादेव कराईयों में तो कहीं गुफाओं में हैं. कोटा संभाग में भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं. जिनकी अपनी ही पवित्र मान्यताएं भी हैं.कहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो कहीं नदियों और वादियों में भोलनाथ विराजमान हैं.हम आज आपकों कोटा संभाग के बूंदी जिले के लाखेरी में कुंडी के महादेव के दर्शन कराने जा रहे हैं.यहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है.वहीं यहां के जल से चर्म रोगों के दूर होने की भी मान्यता है.


छोटी से ताक में विराजमान कुंडी के महादेव
सोमवती हरियाली अमावस्या पर सोमवार होने पर सावन में भक्तों का उल्लास दोगुन हो गया है. जिला बूंदी के लाखेरी उपखंड क्षेत्र से 16 किमी दूर उतराना पंचायत के मालियों की बाड़ी गांव के पास एक ऐसा अद्भुत स्थान है. वहां न मंदिर की भव्यता नजर आती है और ना ही प्रकृति की रमणीयता, फिर भी लोग भोलेनाथ के नाम से ही इस स्थान की ओर खींचे चले आते है. भक्त जब यहां पहुंचता है तो कुंडी के महादेव के दर्शन ओर आसपास के वातावरण को देखकर अचंभित हो जाता है. मिट्टी के निर्जन टीलों की तलहटी में एक छोटी सी ताक में विराजमान है कुंडी के महादेव.


स्थान साधारण, महिमा है अपरमपार
कुंडी के महादेव का स्थान एकदम साधारण सा नजर आता है, लेकिन महिमा ऐसी की स्थान को लेकर लोगों में गहरी आस्था है.कोई भी शुभ काम करने से पहले कुंडी के महादेव का नाम जरूर स्मरण किया जाता है. ग्रामीणों की माने तो यहां आने वाले भक्तों की महादेव हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां मौजूद कुंडी का जल कई तरह के रोगों के लिए रामबाण माना जाता है.कुंडी के महादेव स्थान के समीप ही जल का एक स्रोत है जिसे स्थानीय बोलचाल में कुंडी कहते हैं,लोग उसे देखकर लोग ठिठक जाते हैं. यह कुंडी भी महादेव की तरह लोगों को अचंभित कर देती है.अब तक हमने पहाड़ों व पठार से वर्ष भर बहते झरने देखे होंगे, लेकिन यहां मिट्टी के टीलों की तलहटी में ऐसा स्थान है जहां पानी स्वत: ही बहता रहता है.


कहां से आता है कुंडी का पानी


प्राकृतिक बनावट के लिए यह कुंडी पानी के लिए प्रसिद्ध है. मिट्टी के निर्जन टीलों के बीच जल का ऐसे स्रोत की कोई कल्पना भी नहीं कर पाता. वहां पूरे वर्षभर इस कुंडी से पानी बहता रहता है, जबकि आसपास ना तो पहाड़ है और ना ही पठार केवल चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे मिट्टी के टीले मौजूद हैं. कुंडी का पानी भीषण गर्मी में किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. चरवाहों के लिए तो गर्मी के दिनो में कुंडी का पानी अमृत बन जाता है. लोग इस कुंडी से निकलते पानी को देख दंग रह जाते हैं. 


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