Sawan 2024: कोटा के इस मंदिर में 525 शिवलिंग पर भक्त करते हैं जलाभिषेक, 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन का मिलता है फल
Sawan Somwar 2024: कोटा के शिवपुरी धाम में आज भक्तों की बारी भीड़ उमड़ी है. शिवपुरी धाम के महाराज ने बताया किइस मंदिर की स्थापना नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ी हुई है.
Sawan 2024 News: सावन की शुरुआत आज से हो गई है. आज 22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है. पहले सोमवार को राजस्थान के कोटा के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. वहीं प्रमुख रूप से अपनी पहचान रखने वाले शिवपुरी धाम में भी सुबह से भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इस मंदिर में स्वास्तिक की रचना में पूरे 525 शिवलिंग स्थापित किए गए हैं. यहां आज सुबह से ही शिव की आराधना का क्रम जारी है जो देर रात तक चलेगा.
शिवपुरी धाम के सनातन पुरी महाराज ने बताया कि कोटा के थेकड़ा स्थित शिवपुरी धाम का विशेष महत्व है. यह महत्व सावन में और भी अधिक बढ़ जाता है. वह बताते हैं कि मंदिर की स्थापना नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ी हुई है. गुरुदेव दिवंगत राणाराम पुरी महाराज ने मंदिर की 35 साल पहले कठिन योग, तप और साधना के बाद स्थापना की थी.
इस मंदिर में प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों से भी साधु संत और भक्त आते हैं. सनातन पुरी महाराज ने बताया कि मंदिर में 525 शिवलिंग हैं. इनको जोड़ने पर 12 नंबर आता है. ऐसे में यहां दर्शन और पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग का फल मिलता है. सनातनपुरी महाराज बताते हैं कि दिवंगत नागा साधु राणा रामपुरी महाराज थेगड़ा में शिवपुरी धाम की जगह पर रहते थे, तब यहां पर मंदिर नहीं था. वो 1980 के आसपास नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए.
कैसे बना ये मंदिर?
वह जब मंदिर में पहुंचे तो शिव की पूजा करने के लिए गए तो प्रसाद, बेलपत्र, अगरबत्ती और माला इत्यादि लेकर गए, लेकिन उन्हें मंदिर में यह सब नहीं ले जाने दिया गया. साथ ही हर मंदिर में एक ही मूर्ति थी जिससे दर्शन के लिए लाइन लगी थी. पूजा सामग्री को पुलिसकर्मी ले लेते थे. इसके चलते श्रद्धालुओं को चंद सेकंड ही दर्शन के लिए भगवान दिखाई देते थे. इससे भक्तों को काफी परेशानी होती थी.
ऐसे में नागा साधु राणाराम पुरी ने फैसला किया कि ऐसा धाम बनाएंगे जहां महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार में लाखों लोग पूजा कर सकेंगे. इसके बाद उन्होंने मंदिर निर्माण शुरू किया जो आज देश दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है. इस जगह का अपना इतिहास है, यहां पहले छोटा मंदिर था, वह मंदिर 1000 साल पुराना है. राज परिवार ने यहां जमीन दी और उसके बाद 1986 में ही राज परिवार से जमीन लेकर 525 शिवलिंग स्थापना करने की शुरूआत कर दी.
उनका देहांत 1987 में हो गया था, जिसके बाद सनातन पुरी महाराज ने इसकी कमान संभाली और मंदिर में शिवलिंग स्थापना 2007 में शुरू हुई. यहां पर 525 शिवलिंग स्थापित कर दिए गए हैं. जिसके बाद यह अनूठा धाम बन गया जहां आज देश विदेश के लोग दर्शन को आते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.