अब तक तो यह चलता आ रहा है कि बच्चे स्कूल में पढ के बाद सीधे घर आते हैं. इसके बाद कोई घर पर रहता हैं, कोई बाहर खेलता है या कोई गलत संगत में पड़ जाता है. स्कूल के बाद बच्चों को सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शैक्षणिक विकास पर ध्यान देने के लिए उदयपुर में आफ्टर स्कूल, यानी स्कूल के बाद वाले स्कूल की शुरुआत होने जा रही है. बड़ी बात यह है कि यह शुरुआत किसी स्कूल भवन में नहीं बल्कि महाराणा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में होने वाली है. राजस्थान में ऐसा पहली बार होने जा रहा है.


20 बच्चों से होगी शुरुआत, शाम साढ़े 5 बजे तक चलेगा स्कूल


प्रदेश सरकार ने इसी सत्र से विवि के संघटक समुदाय एवं व्यावहारिक विज्ञान कॉलेज में इसे शुरू करने की अनुमति दी है. प्रोगाम में बच्चों को पढ़ाने के साथ सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शैक्षणिक विकास पर ध्यान दिया जाएगा. बच्चों को रचनात्मक चीजें और नवाचार सिखाया जाएगा. शुरुआत में 20 बच्चों के एडमिशन होंगे. दोपहर 2 बजे शुरू होगा जो 5.30 बजे तक चलेगा. सेंटर में खाने-पीने की व्यवस्था भी रहेगी.


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कॉलेज में प्रदेश की पहली 55 साल पुरानी प्री-नर्सरी भी है. इसमें बच्चों को खेलकूद और अन्य तरीके से पढ़ाई करवाई जाती है. बच्चों को साथ में न कॉपी-किताब लानी होती है और न ही टिफिन. इसमें हर सत्र में सिर्फ 20 बच्चों को ही प्रवेश दिया जाता है क्योंकि 20 बच्चों पर एक शिक्षक जरूरी होता है. सन् 1967 में शुरू हुई नर्सरी में जिम बाइक, एलिफेंट राइड एयर वाकर समेत कई तरह के उपकरण हैं.


एक्सपर्ट पढ़ाएंगे बच्चों को


कॉलेज की प्रोफेसर गायत्री तिवारी ने बताया कि आफ्टर स्कूल प्रोग्राम में 3 एक्सपर्ट की मदद से बच्चों को पढ़ाया जाएगा. इस उम्र के बच्चों के साथ कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिन्हें वो किसी को बता नहीं पाते हैं. इसमें बच्चों की समस्या को जाना जाएगा. उनके मानसिक तनाव, व्यवहार और बदलावों को समझा जाएगा.


वर्किंग पैरेंट और उनके बच्चों के लिए मददगार


कुलपति एनएस राठौड़ ने बताया कि स्कूल-डे केयर सेंटर के रूप में नई एक्टिवटी शुरू की जा रही है. वर्तमान में बच्चे नवाचार और रचनात्मक चीजों से दूर हो रहे हैं. इस क्लास के माध्यम से बच्चों को नवाचार करने और रचनात्मक चीजें बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उनकी स्किल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि आफ्टर स्कूल के लिए प्रार्थना पत्र मांग लिए गए हैं, रिस्पांस क्या आता है उसके अनुसार आगे की कार्रवाई करेंगे. 


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कुलपति ने यह भी बताया कि अभी बच्चों में स्कूल 2 बजे तक रहते हैं और माता-पिता की नौकरी औसत शाम 6 बजे तक रहती है. ऐसे में बच्चा 2 बजे आने के बाद या तो केयर टेकर के पास रहता है या फिर परिवार. माता-पिता का साया नहीं मिलने पर गलत प्रभाव पड़ता है. ऐसे में बच्चे यहां आएंगे तो काफी कुछ सीखेंगे.