Holi 2023: उदयपुर का सिंधी समाज खेलता है शोक निवारण होली, जानिए कैसे खेलते हैं
Udaipur News: होली में शोक संतप्त परिवार एक लाइन में बैठ जाते हैं. फिर शुभ मुहूर्त में पडिंत, समाज की पचांयतों के पदाधिकारी और अन्य लोग लाइन में लगकर उनको हर्बल गुलाल का तिलक लगाते हैं.
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Rajasthan News: रंगों का त्यौहार होली (Holi 2023) नजदीक है. हर जगह इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. कई जगह तो होली के पहले होने वाले कार्यक्रम भी शुरू हो गए हैं. हर जगह अलग-अलग अंदाज और परंपरा में मनाई जाने वाली होली को उदयपुर का सिंधी समाज दशकों पुराने अंदाज में मनाता है. सिंधी समाज उदयपुर में शोक निवारण होली खेलता है. इसमें हजारों की संख्या में समाज के लोग एक ही जगह एकत्रित होते हैं और परंपरागत तरीके से होली खेलते हैं.आइए जानते हैं कि क्या है शोक निवारण होली और कैसे मनाई जाती है.
ऐसे मनाई जाती है होली
उदयपुर के श्री बिलोचिस्तान पंचायत के उपाध्यक्ष सुरेश कटारिया ने बताया कि पहले के टाइम में समाज के पदाधिकारी और अन्य शोक सप्तम परिवारों को घर-घर जाकर होली शोक निवारण करते थे.परंतु करीब 30 साल पहले उदयपुर की समस्त सिंधी पंचायतों की बैठक में इसे एकसाथ मनाने का निर्णय लिया.दरअसल उदयपुर में समाज के लोग अलग-अलग जगह पर रहते हैं, इससे घर-घर जाकर शोक निवारण होली करना संभव नहीं हो पा रहा था.इस कारण सभी पंचायतों की सहमति से शक्ति नगर स्थित बिलोचिस्तान भवन के बाहर सामूहिक शोक निवारण होली कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्णय हुआ. इसमें सभी सिंधी पंचायतों के लोग शामिल होते हैं.
इस होली में शोक संतप्त परिवार एक लाइन में बैठ जाते हैं.फिर शुभ मुहूर्त में पडिंत, समाज की पचांयतों के पदाधिकारी और समाज के अन्य व्यक्ती लाइन में लगकर चलते हैं और शोक संतप्त परिवारों के सदस्यों को हर्बल गुलाल का तिलक लगाते हैं. इस दौरान भजन-कीर्तन भी होता है. इसके बाद सभी एक दूसरे को गुलाल लगा कर होली मनाते हैं. इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता है.
इसलिए मनाई जाती है होली
सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि इस होली को मनाने के पीछे कारण भी है.जिनके घर में किसी का निधन हो जाता है, वह परिवार पूरे साल खुशियां नहीं मनाता है.पहले घर-घर जाकर शोक निवारण करते थे, इससे यह माना जाता था कि शोक संतप्त परिवार होली के बाद खुशियां मना सकता है.अब एक साथ एकत्र होकर शोक निवारण करते हैं.यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है.
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