Udaipur News: उदयपुर संभाग जिसे प्रकृति ने सब कुछ दिया. झीलें, पहाड़, राजस्थान का सबसे घना जंगल भी. इसलिए यहां 6 सेंचुरी हैं. इसी में से एक सीतामाता सेंचुरी (Sita Mata Wildlife Sanctuary) है. अभी यहां मेला लग रहा है जिसे सीतामाता का मेला (Sita Mata Mela) कहा जाता है. इसी मेले में देवी के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में 3 राज्यों (गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश) के लोग पहुंच रहे हैं.


उड़न गिलहरी है सबसे प्रसिद्ध


लोग यहां देवी के दर्शन के साथ घने जंगल में पिकनिक भी मना रहे हैं. यह मेला 17 मई से शुरू हुआ जो अभी चल रहा है. यह मंदिर और सेंचुरी उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले में है. यहां की सबसे प्रसिद्ध है उड़न गिलहरी. यहां पहुंचने के लिए उदयपुर से बस के माध्यम से प्रतापगढ़ शहर में पहुंचने से कुछ की किलोमीटर दूर से अभयारण्य और मंदिर है. यहां पहुंचने के लिए उदयपुर से करीब 4-5 घंटे का सफर तय करना पड़ता है. खास बात यह है कि परिवार के साथ छुट्टियां बिताने की यह काफी अच्छी जगह है.


ना पानी, न मोबाइल नेटवर्क


सीतामाता देवी के दर्शन करने के बाद दर्शनार्थी जंगल की तरफ जा रहे हैं. यह काफी डीप फ़ॉरेस्ट है, इसी कारण यहां ना मोबाइल नेटवर्क है और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था. सिर्फ प्राकृतिक पानी जो पहाड़ों से रिसता हुआ आ रहा है वहीं है. हालांकि इनकी मदद के लिए 100 पुलिसकर्मी और 200 सब ज्यादा ग्रामीण डटे हुए हैं. कई ग्रामीण जगह-जगह बर्तन में पानी लेकर खड़े हैं जो आने वाले लोगों की प्यास बुझा रहे हैं. साथ ही पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था को संभाले हुए हैं. 


यहां यह देखने को मिलता है


सीता माता अभ्यारण्य में जंगल के साथ पौराणिक महत्व भी है. यहां सीता माता मंदिर, लव कुश जन्म स्थली, महर्षि विश्वामित्र आश्रम, लक्ष्मण बावड़ी, 12 बीघा में फैला बरगद, जहां हनुमान जी को आम के पेड़ से बांधा गया. मंदिर जहां सीतामाता धरती की गोद में समाई थी. वहां दो पहाड़ियों के बीच की दरार, ठंडी और गर्म जलधारा जैसे कई पवित्र और पौराणिक महत्व के स्थल हैं. एक तरफ जहां लोग इनके दर्शन करते हैं तो वहीं पिकनिक मनाते हैं.


ये भी पढ़ें:- बीजेपी में शामिल हुए सुभाष महरिया, क्या लक्ष्मणगढ़ में गोविंद सिंह डोटासरा से करेंगे मुकाबला