Gram Panchayat on Strike: एक तरफ तो सरकार लोगों को राहत देने के लिए महंगाई राहत कैंप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर सरपंचों को अपने अधिकार और अपनी ही राशी के लिए सालों से आंदोलन करना पड रहा है. इसके बाद भी सरकार के कान प र जूं तक नहीं रेंग रही है.सरपंच पिछले कुछ दिनों से अपनी पंचायत में ताला लगाकर बैठे हैं.कोटा संभाग की 155 पंचायतों में ताले लटक रहे हैं. इन पंचायतों में आज से लगने वाले महंगाई राहत कैंपों का बहिष्कार करने का निर्णय भी लिया जा चुका है. ऐसे में ये कैंप ग्रामीण क्षेत्र में समस्या का हल करने की वजाय लोगों के लिए मुसीबत बन जाएंगे.
 
20 अप्रैल से हैं हड़ताल पर


हालत यह है कि सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी और पटवारी, जो गांव के विकास की अहम कड़ी है तीनों हड़ताल पर हैं. ऐसे में महंगाई राहत कैंपों के बहिष्कार को देखते हुए लोगों को राहत मिलना मुश्किल लग रहा है.सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि कैम्पों को सफल बनाने के लिए जबरन सरपंचों पर प्रशासन दबाव बना रहा है.जयपुर जिले की पंचायत समिति सांगानेर की पंचायत महापुरा के सरपंच हनुमान सहाय को जबरन पकडा गया है.इससे सरपंचों में भारी रोष है.


क्या ग्राम पंचायतों की मांग


रफीक पठान ने बताया कि राजस्थान सरपंच संघ के बैनर तले राजस्थान के 11000 से अधिक सरपंच विगत एक सप्ताह से आंदोलन पर हैं. इसी के तहत 24 अप्रैल से लगने वाले महंगाई राहत कैंपों का बहिष्कार का निर्णय लिया गया है.राजस्थान सरपंच संघ के मुख्य प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया सभी जिला अध्यक्ष और कार्यकारिणी के सदस्यों को ब्लॉक अध्यक्षों से हुई वार्ता के बाद वह उनके द्वारा दिए गए सुझाव के बाद कैम्पों का बहिष्कार करते हुए आंदोलन के पांचवें चरण में सभी पंचायत समिति मुख्यालय/उपखंड कार्यालयों पर धरना दिया जाएगा.आंदोलन को सफल बनाने के लिए राजस्थान सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल, कार्यकारी अध्यक्ष नेमी चंद मीणा और रोशन अली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गजेंद्र सिंह और अन्य पदाधिकारी जयपुर में डेरा जमाए हुए हैं.वही सरकार पंचायतों की बकाया राशि को चार-पांच महीने में देना चाह रही है. इस पर सरपंच सहमत नहीं हैं.


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