IIT Student Developed Anti Drone System: आए दिन हम सुनते हैं कि बॉर्डर पर पाकिस्तानी ड्रोन (Pakistani Drone) देखा गया है. हो सकता है जासूस ड्रोन हमारे इलाके की जानकारी जुटाते हैं. लेकिन अब ऐसे अवैध ड्रोन का 'ब्रह्मास्त्र' आ गया है. राजसमन्द (Rajsamand) के काछबली निवासी आईआईटी (IIT) छात्र राजेन्द्र सिंह ने एंटी ड्रोन बनाया है. एंटी ड्रोन की खासियत है कि बॉर्डर में नजर आने वाले अवैध ड्रोन को अपने जाल में फंसा लेगा. आईआईटी छात्र राजेन्द्र सिंह को गुजरात की रक्षा प्रदर्शनी में एंटी ड्रोन के प्रदर्शन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) सम्मानित कर चुके हैं. 


बॉर्डर पर जासूस ड्रोन की काट का कैसे आया ब्रह्मास्त्र?


राजेन्द्र सिंह की स्कूली पढ़ाई उदयपुर में हुई. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोटा में कोचिंग ली. कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग के लिए राजेन्द्र सिंह का दाखिला केरल के पलक्कड़ आईआईटी कॉलेज में हुआ. राजेन्द्र लंबे समय से ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज को बताया कि डीआरडीओ देश में आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए अलग-अलग प्रतियोगिता आयोजित कराता है. एंटी ड्रोन विषय की प्रतियोगिता में उनका नाम शॉर्ट लिस्ट हुआ था. शॉर्ट लिस्ट होने के लिए भी कई स्तरों को पार करना पड़ता है. उन्होंने आगे बताया कि मैं शॉर्ट लिस्ट इसलिए हो गया क्योंकि मेरा वर्क था ड्रोन की मदद से अवैध ड्रोन को खत्म करना.



CSAB Counselling 2022: NIT-IIIT में अपनी सीट को कैसे करें कन्फर्म, जानें- कब से कब तक है आखिरी मौका?


दो किलोमीटर की रेडियस में ड्रोन, पक्षी को पहचानेगा


एक साल पहले केंद्र सरकार से राजेन्द्र सिंह को 30 लाख रुपए मिले थे. रुपए मिलने के बाद उन्होंने एंटी ड्रोन पर काम शुरू किया. एंटी ड्रोन सिस्टम को पूरी तरह से डेवेलप करने के बाद उन्होंने ट्रायल भी कर दिया. राजेन्द्र आगे बताते हैं कि जिस तरह चोर को पकड़ने के लिए पुलिस घेरा बनाती है उसी तरह एंटी ड्रोन सिस्टम अपने एरिया में आने वाले अवैध ड्रोन को पकड़ता है. अभी इसकी डेंसिटी दो किलोमीटर का रेडियस रखा है जिसमें बिना किसी मानव के नकल ऑटोमेटिक काम करता है. दो किलोमीटर की रेडियस में आने वाले ड्रोन और पक्षी तक को एंटी ड्रोन पहचान लेता है.




फिर खुद ही उड़कर अवैध ड्रोन तक जाकर अपने जाल में फंसा लेता है. इसमें सिर्फ एक ड्रोन नहीं तीन ड्रोन एक साथ काम करते हैं जो एक साथ एक जाली से जुड़े हुए रहते हैं. तीनों ड्रोन जाली को लेकर हवा में उड़ते हैं और अवैध ड्रोन को उस जाली में फंसा लेते हैं. एंटी ड्रोन सिस्टम को बनाने में तीन अन्य आईआईटी के सहयोगियों ने मदद की. राजेन्द्र के मुताबिक एंटी ड्रोन बॉर्डर एरिया में काम करने के साथ सेना का भी सहयोग करेगा. फोर्सेज के एरिया में भी एंटी ड्रोन सिस्टम काफी मददगार होगा. साथ ही एयरपोर्ट पर एंटी ड्रोन स्थापित करने से सुरक्षा मिलेगी. कुछ जगहों से एंटी ड्रोन सिस्टम की रिक्वायरमेंट आई भी है.