Suicide of Students in Kota: शिक्षा नगरी इस समय कोचिंग स्टूडेंटों की मौत से चिंतित है. यहां स्टूडेंटों की आत्महत्याएं चिंता का विषय बनती जा रही हैं. इन आत्महत्याओं से बच्चों और उनके परिजन और कोचिंग संस्थानों दबाव में हैं. एक के बाद एक कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या से पूरा शहर आहत है. एक वर्ष में 10 से 14 कोचिंग स्टूडेंटों की सुसाइड के मामले सामने आते थे. लेकिन 2023 में अब तक 10 बच्चे सुसाइड कर चुके हैं और दो को बचाया गया है. यह आंकडा सभी को चिंतित कर रहा है.इन आत्महत्याओं के कारण की तलाश की गई तो स्टूडेंट में पढाई का प्रेशर तो है लेकिन लव अफेयर और दूसरे कई कारण भी सामने आए हैं.
 
क्यों कर रहे हैं बच्चे सुसाइड 
कोटा में एक-एक बच्चा यहां के लोगों के लिए अपने बच्चे की तरह है,यहां हर सुविधा है. हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले माता-पिता कोटा में अपने बच्चों को यहां का माहौल देखकर सहज ही छोड जाते हैं. लेकिन कुछ बच्चों के कारण उन्हें भी वहां चिता होती है. अब तक लाखों बच्चे देश दुनिया में अपना और दूसरों का कॅरियर बना रहे हैं. कुछ स्टूडेंट से बात की तो सामने आया कि यदि आगे बढ़ना है तो हर क्षेत्र में मेहनत करनी होती है. तनाव रहता है. लेकिन आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है. यहां पढाई का दबाव तो है ही लेकिन जब बच्चे को खुली छूट मिलती है और परिजन साथ नहीं होते तो वह अन्य क्रियाकलापों में भटक जाता है. इस तरह वह पढाई से दूर होता चला जाता है. जब एग्जाम आते हैं तो उसे परिवार की अपेक्षाओं के कारण ग्लानी होती है. एक दो बच्चे उसे सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या कर लेते हैं. इसके साथ ही प्यार मोहब्बत भी एक बडा कारण है. नशा, परिवार का प्रेशर, पढाई का प्रेशर भी स्टूडेंटों पर रहता है.


हर तरह की सुविधा देता है कोटा  
कोटा में लाखों लोग कोचिंग के कारण रोजगार कर रहे हैं. इसमें प्रमुख रूप से हॉस्टल, मेस, बुक स्टोर, रेस्टोरेंट, होटल के साथ सकडों छोटे काम धंधे हैं, जो लोगों की जीविका के साधन हैं. स्टूडेंट की हर ख्वाहिश को कोटा पूरा करता है. इनकी हर जगह सुनवाई होती है. हेल्पलाइन है, प्रशासन की टीम है, कोचिंग संस्थान में काउंसलर हैं. सामाजिक संस्थाएं हैं, मनोचिकित्सक की टीम है. इसके साथ कई और सुविधाएं स्टूडेंट को दे रखी हैं. जिससे वह किसी भी तरह से परेशान न हों. मनोचिकित्सक भी अपनी राय देते हैं. समय-समय पर मोटिवेशन सेमिनार और सेलिब्रिटिज को भी बुलाया जाता है, जो बार-बार कहते हैं जीवन की सफलता के ऑप्शन बहुत हैं, डॉक्टर इंजीनियर के साथ ही अन्य विकल्प भी हैं, लेकिन उसके बाद भी कोचिंग स्टूडेंटों का सुसाइड किए जाने के पीछे दबाव को बड़ा कारण माना जा रहा है.  


दबाव कम करने के लिए हो सकारात्मक पहल
मेडिकल कॉलेज कोटा के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. राजमल मीणा का कहना है कि बच्चों में तनाव तो है. पढाई हार्ड है तो तनाव तो हमेशा ही रहेगा. लेकिन इसे कम किया जा सकता है, जो बच्चा कम स्कोर कर रहा है उनकी अलग से काउंसलिंग होनी चाहिए. हर पेपर की जानकारी बच्चे के परिजनों तक मोबाइल के जरिए पहुंचती है, यदि लगता है कि बच्चा पास नहीं होगा तो उसे प्यार से लिया जाना चाहिए लेकिन माता-पिता उस पर प्रेशर और बढा देते हैं. उसे प्रताडित करते हैं जिस कारण भी वह गलत कदम उठा लेता है.आत्महत्याएं रोकने के लिए सकारात्मक पहल होनी चाहिए. बच्चों को खुश रखने के लिए पढाई से कुछ समय दूर रखना चाहिए.


इस साल अब तक हुई आत्महत्या की घटनाएं


कोटा में पिछले कुछ महीनों में सुसाइड की घटनाएं बढ़ी हैं. यहां नीट और दूसरे कॉम्पिटिशन की तैयारी करने आने वाले स्टूडेंट लगातार अपनी जान दे रहे हैं. पिछले साढे 5 महीने के आंकड़ों को देखे तो 10 स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं.



  • 14 जनवरी: यूपी निवासी अली राजा ने सुसाइड किया. कोटा में कोचिंग कर रहा था. वह पिछले 1 महीने से कोचिंग नहीं जा रहा था.

  • 15 जनवरी: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले रणजीत (22) फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था. स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला. लिखा- मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं. मामला कुन्हाड़ी इलाके का था.

  • 19 जनवरी: जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की है. स्टूडेंट ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली. समय रहते स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और हॉस्पिटल पहुंचाया. स्टूडेंट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का रहने वाला है.

  • 29 जनवरी: विज्ञान नगर इलाके में कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की. स्टूडेंट हॉस्टल की चौथी मंजिल की बालकनी से नीचे कूद गया था. गंभीर हालत में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. स्टूडेंट के बालकनी से गिरते हुए का उउळश् फुटेज भी सामने आया था.

  • 8 फरवरी: कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लेडमार्क सिटी इलाके में एक छात्रा ने मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया. छात्रा कृष्णा (17) बाड़मेर की रहने वाली थी.

  • 24 फरवरी: यूपी के बदायूं का रहने वाले 17 साल के अभिषेक ने फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी. वह दो साल से कोटा में रह रहा था. अभिषेक एक कोचिंग संस्थान से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (ठएएळ) की तैयारी कर रहा था. वह पिछले कुछ समय से कोचिंग नहीं जा रहा था और हॉस्टल से ही आॅनलाइन क्लास ले रहा था.

  • 26 अप्रैल: जवाहर नगर थाना क्षेत्र में नीट की तैयारी कर रही एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था. उसने हॉस्टल के रूम में फांसी लगाई. मृतका राशि जैन (19) एमपी के सागर की रहने वाली थी. जो एक साल से कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी. कोचिंग स्टूडेंट बीमार रहती थी. और मानसिक तनाव में थी.

  • 9 मई: विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग से 10 से माले से कूदकर एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया. स्टूडेंट नासिर (22) बेंगलुरु का निवासी था. जो कुछ समय पहले ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहने आया था. सुसाइड के एक दिन पहले जयपुर में नीट का एग्जाम देकर आया था.

  • 27 मई : कुन्हाडी थाना क्षेत्र में अपने अंकल के यहां रह रही टौंक निवासी 17 वर्षीय साक्षी ने चुन्नी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली, वह कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रही थी.

  • 12 जून: जवाहर नगर थाना क्षेत्र के हॉस्टल के कमरे में भार्गव केशव (17)ने फांसी लगा ली. 11वीं का छात्र था और महाराष्ट्र का रहने वाला था.


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