Rajasthan Congress: गहलोत-पायलट की लड़ाई में हमेशा फंसते हैं राजस्थान कांग्रेस प्रभारी, क्या अब सुखजिंदर सिंह रंधावा की बारी?
Rajasthan Congress: सचिन पायलट के खिलाफ एक्शन लेने की बात करने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा के तेवर ढीले पड़ गए, जब राहुल-प्रियंका गांधी ने दखल दिया. आलाकमान ने कोई भी एक्शन लेने से साफ मना कर दिया.
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Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: राजस्थान की राजनीति में 'अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट' की लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है. इसका खामियाजा समय-समय पर कांग्रेस को भोगना पड़ा है. कभी सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के समर्थकों में लड़ाई हो जाती है, तो कभी विधायक और नेता एक दूसरे पर बड़े-बड़े आरोप लगाया करते हैं. इतिहास देखा जाए तो दोनों दिग्गज नेताओं की इस लड़ाई में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी हमेशा लपेटे में आए हैं. चाहे वह अविनाश पांडे हों, अजय माकन हों.
दरअसल, ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के मना करने के बावजूद अनशन किया. इसको लेकर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ अक्षरों में कहा कि सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब उनके इस बयान को चार दिन बीत गए हैं, लेकिन कार्रवाई तो छोड़िए अब कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट से सुलह करने में जुट गया है.
अविनाश पांडे से छीना गया कांग्रेस प्रभारी का पद
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. सब जानते हैं कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर 4 साल से अंतरयुद्ध चल रहा है. साल 2020 की जुलाई में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने बगावत कर दी थी, जिसके बाद कुल 19 एमएलए मानेसर जाकर बैठ गए. कुर्सी बचाने के लिए अशोक गहलोत को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा. फिर, प्रियंका गांधी के दखल देने के बाद दोनों के बीच सुलह हुई.
हालांकि, इसके बावजूद 14 अगस्त 2020 को अशोक गहलोत को सदन में बहुमत साबित करना पड़ा. अब यह बवाल एक महीने से ज्यादा बढ़ चुका था और इसे ठीक न कर पाने का ठीकरा कांग्रेस प्रभारी के सिर फूटा. पांडे पर आरोप लगे कि वह अशोक गहलोत के समर्थन में कार्य कर रहे हैं. इसकी वजह से कांग्रेस नेतृत्व ने 16 अगस्त 2020 को अविनाश पांडे को प्रदेश प्रभारी पद से बेदखल कर दिया.
अजय माकन भी फंसे 'गहलोत वर्सेस पायलट' के बीच
इसके बाद अजय माकन कांग्रेस प्रभारी बने. हालांकि, गहलोत और पायलट गुट के बीच चल रहे सियासी युद्ध के चलते उन्हें भी हटना पड़ा. माकन के प्रभारी रहते हुए राज्य में 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. उनके नेतृत्व में अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ सभाओं में दिखने लगे. कई जगहों पर साथ दिखने लगे, लेकिन 2 साल के अंदर ही स्थिति ऐसी बन गई कि अजय माकन को इस्तीफा देना पड़ गया. कुछ ही समय में माकन पर सचिन पायलट का समर्थक होने के आरोप लगने लगे और वह गहलोत गुट के निशाने पर आ गए. ये आरोप भी लगे कि वह साजिशन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की कोशि कर रहे हैं.
25 सितंबर को न हो सकी विधायक दल की बैठक चर्चा का बड़ा विषय बन गई. राजस्थान कांग्रेस में हुए बवाल से पहले सचिन पायलट के समर्थकों ने प्रमुखता से मांग रखी कि पायलट को सीएम बनाया जाए. साथ ही ये चेतावनी दे दी कि जिस दिन सब्र का बांध टूटा, तो कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जब मामला ज्यादा बढ़ा तो कांग्रेस हाईकमान ने मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन को ऑब्जर्वर बनाकर भेजा. बीते साल 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित की गई, लेकिन गहलोत के समर्थक विधायकों ने हाजिरी नहीं लगाई. ऐसी बात उठी कि इस बैठक में मुख्यमंत्री बनाने के अधिकार आलाकमान के पास चला जाएगा. इसलिए आधी रात में विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर जाकर कइयों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया.
उस दिन जो हुआ वह कांग्रेस के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था. ऐसे में 29 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को माफी मांगनी पड़ी. इसी बीच गहलोत गुट के शांति धारीवाल ने अजय माकन पर कई आरोप लगाए. धारीवाल ने यह तक कह दिया कि अजय माकन और बीजेपी की मिलीभगत है, सचिन पायलट को सीएम बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके बाद अजय माकन को कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेजना पड़ा. उनके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बने.
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