Rajasthan News Today: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को उन सेवानिवृत्त सरकारी आयुष चिकित्सकों का लंबित वेतन एक सप्ताह के भीतर जारी करने का शुक्रवार (27 सितंबर) को निर्देश दिया, जिन्हें हाईकोर्ट के फैसले के बाद बहाल किया गया था. न्यायालय ने पूछा कि आयुष चिकित्सकों के साथ "सौतेला" व्यवहार क्यों किया गया.


इससे पहले राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सरकार ने अपनी अपील में कहा था कि एलोपैथिक चिकित्सकों और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों से जुड़े चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग नहीं हो सकती.


चिकित्सकों ने दायर की थी याचिका
एलोपैथिक चिकित्सकों की कमी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने 31 मार्च 2016 से उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी, जिसके कारण सरकारी आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सकों की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं.


सरकार के जरिये नियुक्त आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष ही रही. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य के सभी सरकारी चिकित्सकों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु समान होनी चाहिए. 


आयुष चिकित्सकों की शिकायतों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर वे 31 मार्च 2016 के बाद सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें 62 वर्ष की आयु तक सेवा में माना जायेगा.


सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जताई नाराजगी
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपीलों पर गौर किया. पीठ ने तब नाराजगी जाहिर की जब आयुष चिकित्सकों के वकील ने कहा कि हालांकि उन्हें सेवा में वापस ले लिया गया है, लेकिन उनके वेतन के भुगतान में पांच महीने की देरी हुई है.


प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "वे सभी चिकित्सक के रूप में काम कर रहे हैं. आयुर्वेद के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों? आपने वेतन जारी क्यों नहीं किया?" पीठ ने सरकार से एक सप्ताह के भीतर वेतन जारी करने को कहा. पीठ ने राज्य में चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु से संबंधित मुद्दे से उत्पन्न मामलों का एक चार्ट तैयार करने को कहा.


हाईकोर्ट के आदेश को दी गई थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट 19 जुलाई को हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली राजस्थान सरकार की अपील पर विचार करने के लिए सहमत हो गया था, जिसमें कहा गया था कि एलोपैथिक चिकित्सकों और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों से जुड़े चिकित्सकों के सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग नहीं हो सकती.


इसने राज्य सरकार की अपील पर आयुष चिकित्सकों को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में अवमानना ​​का सामना कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया था.


राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश
हाईकोर्ट ने आदेश दिया था, "जो लोग 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन 62 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है, उन्हें तुरंत सेवा में बहाल किया जाए."


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