Rajasthan HC Order Stays By SC: आसाराम केस में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा को तलब करने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ आसाराम की अपील में साक्ष्य दर्ज करवाने के लिए तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अजय पाल लांबा को तलब किया गया था.


किताब में लिखी बात को बचाव पक्ष ने बनाया हथियार


हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी है. न्यायाधीश इंदिरा बैनर्जी और जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए 10 फरवरी के आदेश पर स्थगन दे दिया. लांबा की किताब गनिंग फॉर द गॉडमैनः द टू स्टोरी बिहाइंड आसाराम्स कनविक्शन में घटनास्थल की वीडियोग्राफी करवाने का तथ्य सामने आने के बाद बचाव पक्ष ने इसे महत्वपूर्ण साक्ष्य बताते हुए सीआरपीसी की धारा 391 के तहत हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था.


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कुछ ऐसे रखा पक्ष


प्रार्थना पत्र में अभियोजन के मामले को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए कहा गया था कि 19 अगस्त 2013 को दिल्ली स्थित कमला मार्केट पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई हस्तलिखित शिकायत और 20 अगस्त को दर्ज पीड़िता के बयान में घटना स्थल पर स्थित कुटिया की आंतरिक सज्जा का कोई विवरण नहीं दिया गया है. तत्कालीन डीसीपी लांबा की किताब के अनुसार उन्होंने 21 अगस्त को अपराध स्थल का दौरा किया था और मोबाइल से वीडियोग्राफी की थी. दलील दी गई थी कि ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता के बयानों में कुटिया के विस्तृत विवरण को विश्वसनीय माना था.


हाईकोर्ट ने लांबा को किया था तलब


बचाव पक्ष ने उस वक्त भी कहा था कि वीडियोग्राफी पहले की गई थी और उसे पीड़िता को दिखाया गया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए निष्कर्ष दे दिया कि थानाधिकारी ने अपराध स्थल की वीडियोग्राफी नहीं की थी. बचाव पक्ष की दलील थी कि पीड़िता ने कभी कुटिया में प्रवेश नहीं किया, उसने वीडियो के आधार पर अपने बयान दिए. यह वीडियो लांबा ने रिकॉर्ड किया था, यह खुलासा उनकी किताब प्रकाशित होने के बाद हुआ है. हाईकोर्ट ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए लांबा को तलब किया था.


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