Kota News: राजस्थान में विकास का दम भरने वाले यूडीएच मंत्री के विधानसभा के कोटा उत्तर नगर निगम ने देश में सफाई के क्षेत्र में शर्मसार कर दिया है. सफाई पर कोटा में प्रतिमाह करोड रुपये खर्च किया जा रहा है. डोर टू डोर कचरा संग्रहण की तकनीक फेल हो गई है. कचरे का भ्रष्टाचार भी कोटा में सभी जानते हैं. पार्षद सफाई पर ध्यान नहीं देता और लोग आज भी घरों का कचरा सड़क और नाले में डाल रहे हैं. 


दक्षिण नगर निगम की रैंकिंग में हुआ है सुधार
सफाई सर्वेक्षण 2022 के रिजल्ट आ चुके हैं और उसके साथ ही नगर निगम की सफाई व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई. हालांकि इस बार दक्षिण नगर निगम की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन उत्तर नगर निगम काफी पिछड़ा है. इस बार सर्वेक्षण के रिजल्ट प्रदेश और देश के हिसाब से जारी किए गए हैं. जिसमें बताया गया कि आपका शहर देश में किस रैंक में हैं और प्रदेश में किस रैंक में. सर्वेक्षण में राजस्थान प्रदेश के 29 शहर शामिल थे,


जिसमें से कोटा दक्षिण चौथी रैंक पर और उत्तर नगर निगम 23वीं रैंक पर रहा. दोनों ही बोर्ड कांग्रेस के हैं और उत्तर नगर निगम तो यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का विधानसभा क्षेत्र है. सर्वे में शामिल देश के 382 शहरों की बात करें तो कोटा दक्षिण 141 वीं रैंक और उत्तर निगम 364 वीं रैंक पर रहा, जो की शर्मसार करने वाला आंकडा है.


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सर्वेक्षण को गंभीरता से नहीं लेता कोटा नगर निगम


कोटा में सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी ढाक के तीन पाथ वाली कहावत चरितार्थ होती है. यहां सफाई को लेकर साल भर तक धरने प्रदर्शन और ज्ञापना का दौर चलता रहता है. केवल गांधी जयंती पर सफाई को प्रतिकारात्मक रूप से किया जाता है और अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है. कोटा नगर निगम कभी भी सफाई सर्वेक्षण को गंभीरता से नहीं लेता है. जिसका परिणाम ये रहा कि हम पिछडते चले गए.  


पिछले दो साल में आए 20 करोड़ के संसाधन


पिछले 2 सालों में नगर निगम में सफाई के लिए 20 करोड़ रुपए से अधिक के संसाधन आए. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी दोनों निगमों को सफाई व्यवस्था के लिए 27-27 करोड़ रुपए दिए. जिससे रोड बाइंडिंग से लेकर एंटी स्मॉग गन तक खरीदी गई. उत्तर निगम न तो सिटीजन एंगेजमेंट में ठीक से काम कर पाया न ही ऐप में कुछ किया. इनोवेशन के नाम पर भी फिसड्डी ही रहा. दक्षिण ने इस बार बारिश से पहले नालों की सफाई पर काफी मेहनत की.


इससे जलभराव नहीं हुआ. वहीं दो ट्रांसफर स्टेशन तैयार कर लिए. वहीं उत्तर निगम एक भी कचरा ट्रांसफर स्टेशन नहीं बना पाया. डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था ठप है. पूरे शहर का कचरा डंपिंग यार्ड ट्रेंचिंग ग्राउंड उत्तर में ही है. जिसके निस्तारण के लिए काफी धीमी गति से काम चल रहा है.


स्टार रेटिंग और ओडिएफ में दोनों निगम फेल


सर्टिफिकेशन के 1800 नंबर थे, इसमें स्टार रेटिंग के 1100 नंबर थे और दोनों ही निगम को इसमें जीरो नंबर मिले है. ओडीएफ के 700 नंबर थे, जिसमें 200-200 नंबर मिले हैं. इस मामले में महापौर मंजू मेहरा ने स्पष्टीकरण दिया कि कचरा ट्रांसफर स्टेशन और नए ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए यूआईटी से जमीन मांगी है. स्टेशन बनने के बाद स्थिति में सुधार होगा, लेकिन इस समय तो प्रदेश में विकास का दावा करने वाले यूडीएच मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सफाई का हाल सफाई सर्वेक्षण ने उजागर कर दिया. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे जिलों को कितनी गंभीरता से लिया जाता होगा.


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