Kota Unique Temple: कोटा के अद्भुत मंदिर को देखकर लगेगा पत्थर से बना है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. मंदिर में एक भी पत्थर नहीं लगाया गया है. आरसीसी से बना मंदिर समय और पैसे की बचत का बेजोड़ उदाहरण है. ट्रस्ट से जुडे लोग बताते हैं कि मंदिर बनाने की प्लानिंग से निर्णय लिया गया था कि पत्थर का इस्तेमाल नहीं करेंगे. स्वामीनारायण संप्रदाय ने मंदिर निर्माण में सारा काम सीमेंट कंक्रीट के जरिए ही करवाया है. ऐसे में इस मंदिर को लोग देखने आ रहे हैं. इसी तर्ज पर एक रेस्ट हाउस का निर्माण भी करवाया गया है.


कोटा में मंदिर की पूरी व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी मुनि स्वामी स्वामी की है. उनका कहना है कि जगह लेने के समय मंदिर का जल्द से जल्द निर्माण करने का फैसला लिया गया. भगवान का दर्शन करने और सत्संग का आनंद लेने के उद्देश्य से मंदिर का निर्माण जल्दी किया गया. संतों और अहमदाबाद से जुड़े सभी ट्रस्टी ने तय किया कि मंदिर बाहर से पत्थर जैसा दिखे, लेकिन एक भी पत्थर का इस्तेमाल न हो. मंदिर में आरसीसी का उपयोग किया गया है. पत्थर में समय अधिक लगता है और पैसा भी, इसलिए इस विधि को प्राथमिकता दी गई. भुज और कच्छ में बहुत अच्छे कार्विंग के अनुसार डाया बनाकर लुक पत्थर जैसा ही नजर आता है, इसका रंग भी पत्थर जैसा करवाया है. छतरियां, कार्विंग और डिजाइन हुबहू दिखती है.


गुंबद, छतरियां और अन्य सभी निर्माण आरसीसी के


मुनि स्वामी का कहना है कि हमें मंदिर और विश्रांति भवन का निर्माण जल्दी करवाना था. इसलिए इस तकनीक का उपयोग हमने किया है. इस अनूठे मंदिर में गुम्मद, छतरियां, कार्विंग और डिजाइन पूरी तरह आरसीसी की हैं और खूबसूरत भी हैं. इन बिल्डिंगों में जितने भी छज्जे या फिर दरवाजों के ऊपर चौखट लगे हैं, उसे सीमेंट कंक्रीट से बंद कर ही लगवाया गया है. इसके अलावा फ्लोरिंग में सभी जगह पर टाइल का उपयोग किया गया है. हालांकि, बाद में मंदिर की सीढ़ियों पर कोटा स्टोन और विश्रांति भवन की सीढ़ियों पर ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया है. ग्रेनाइट और कोटा स्टोन का काम एक फीसदी से भी कम है.




राम, कृष्ण, हनुमान, शिव परिवार की मूुर्ति मंदिर में


मंदिर में भगवान राम, कृष्ण, हनुमान, शिव परिवार और भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति स्थापित की गई है. मंदिर के बेसमेंट में एक बड़ा मल्टीपरपज हॉल भी बनवाया गया है. विश्रांति भवन जी प्लस 3 में 60 कमरे हैं. ग्राउंड फ्लोर पर डायनिंग, एरिया किचन और दो डोरमेट्री हैं. धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों के ठहराव को देखते हुए बनवाया गया है. ठहरने में प्राथमिकता स्वामीनारायण संप्रदाय के लोगों को मिलती है. रूम खाली रहने पर सभी को ठहरने का मौका दिया जाता है. 




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