'RSS प्रमुख ने जो कहा उसे...', मोहन भागवत के बयान पर बोले अजमेर दरगाह प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन
Rajasthan News: अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सही है. इसे अपनाएंगे तो हमारा देश तरक्की करेगा.
Syed Zainul Abedin Ali Khan On Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर दिए बयान पर अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खान की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने RSS प्रमुख के बयान का समर्थन करते हुए इसे सही करार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर हम इसे अपनाते हैं तो हमारा देश विकास करेगा.
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खान ने कहा, "आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सही है. ये हम पहले से कहते आ रहे हैं. 2022 में भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया था कि हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं ढूंढा जाय और अभी हाल में उन्होंने जो बयान दिया है वो काबिले तारीफ है.''
#WATCH | Ajmer, Rajasthan: On RSS chief Mohan Bhagwat's statement, the Spiritual Head of the dargah, Syed Zainul Abedin Ali Khan says, "RSS chief Mohan Bhagwat's statement is correct... Even in 2022, RSS chief Mohan Bhagwat gave a statement that we should not look for Shivling… pic.twitter.com/Wiu7a4aduA
— ANI (@ANI) December 21, 2024
'RSS प्रमुख ने जो कहा है उसे हमें अपनाना चाहिए'
उन्होंने आगे कहा, ''मोहन भागवत के बयान की जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम है. आरएसएस प्रमुख ने जो कहा है उसे हमें अपनाना चाहिए. इसे अगर हम अडॉप्ट करेंगे, इसे अपनाएंगे और इसके हिसाब से चलेंगे तो पूरे वर्ल्ड के अंदर हम एक कहलाएंगे और हमारा देश तरक्की करेगा.''
मोहन भागवत ने क्या कहा?
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को पुणे में 'हिंदू सेवा महोत्सव' के उद्घाटन के दौरान कहा, ''मंदिर-मस्जिद के रोज नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए. अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे. हमें दुनिया को दिखाना है कि हम एक साथ रह सकते हैं.
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा, ''भारत में अक्सर अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चर्चा की जाती है. अब हम देख रहे हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यक समुदायों को किस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.''
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर 12 दिसंबर को सुनवाई की थी. इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों पर निचली अदालतें कोई फैसला ना दें और न ही सर्वे के आदेश जारी करें.
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