Rajasthan : साल 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले टैंक को उदयपुर लाया गया है. यह टी-55 टैंक अब उदयपुर की शान बढ़ाएगा. भारतीय सेना के युद्ध टैंक टी-55 का राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम उदयपुर शहर के फतहसागर झील स्थित महाराणा प्रताप स्मारक मोती मगरी पर आयोजित किया गया था. युद्ध टैंक टी-55 के उद्घाटन समरोह में राज्यपाल मिश्र के साथ मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और लेफ्टिनेंट जनरल जय सिंह नैन भी मौजूद रहे. अब ये टैंक महाराणा प्रताप स्मारक पर शोभा बढ़ाएगा. इस टैंक को भारतीय सेना ने पुणे से उपलब्ध कराया है.
इस महापुरूषों के परिजनों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में एक विशेष सम्मान भी आयोजित किया गया जो मेवाड़ में पहली बार हुआ. इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र की मौजूदगी में महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भारत माता के अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के परिजनों को सम्मानित किया. डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने शहीद भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह के बेटे किरणजीत सिंह संधू, शहीद सुखदेव के चचेरे भाई जयदेव के पौत्र अनुज थापर और शहीद शिवराम राजगुरु के भाई दिनकर राव के पौत्र सत्यशील राजगुरु को विशेष सम्मान दिया.
क्या कहा राज्यपाल ने -
इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि महाराणा प्रताप ने आज से करीब 450 साल पूर्व स्वतंत्रता शब्द को जन्म दिया. मैं महाराणा प्रताप को देश का पहला स्वतंत्रता सेनानी मानता हूं, क्योंकि प्रताप ने उस विषम दौर में भी अकबर से मुकाबला किया और हर युद्ध में मुंहतोड़ जवाब देकर विजेता बने. मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि युद्ध टैंक टी-55 हमारी सेना के अदम्य सौर्य से हमारे भावी पीढ़ी को रूबरू करवाता रहेगा.
टी-55 का शौर्य -
जानकारी के अनुसार यह रूस में निर्मित टैंक है जिसे 1968 में सेना में शामिल किया था। इस टैंक को 1971 में भारत पाकिस्तानी युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया था. इसमें 580 हॉर्स पॉवर इंजन है और यह एक बख्तरबन्द टैंक है. इसका वजन 37 टन है और 4 लोग बैठ सकते हैं. यह 105 एमएम (mm) की राइफल से लैस हैं.
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