Happy Teachers Day 2024: राजस्थान में सरकारी स्कूलों की हालात बेहद चिंतनीय है. स्कूलों में लाखों छात्र हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. हजारों स्कूलों में तो सिर्फ एक शिक्षक ही पढ़ा रहा है. इसी तरह हजारों स्कूलों में सिर्फ डेप्युटेशन पर पढ़ाई चल रही है. इतना ही नहीं अशोक गहलोत सरकार में जिन स्कूलों को क्रमोनत किया गया था. वहां पर नए शिक्षक नहीं लगाए गए जिसकी वजह से जो शिक्षक पहले से पढ़ा रहे थे वहीं अब सीनियर बच्चों को भी पढ़ा रहे हैं.


पिछले पांच साल से शिक्षकों की डीपीसी भी नहीं हुआ है, जिससे उन्हें प्रमोशन नहीं मिल पाया. इन्हीं परेशानियों में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चल रही है जबकि, सरकार छात्रों को टैबलेट देने और साइकिल देने में बजट खर्च कर रही है. यहां के लिए बजट की कमी बता दी जाती है.


क्या है असल स्थिति?
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा की माने तो प्रदेश में छात्र और शिक्षक की स्थिति अनुपात में ठीक नहीं है. जितने शिक्षक होने चाहिए उतने हैं नहीं. एक आंकड़े के अनुसार राजस्थान में कक्षा एक से लेकर 12 तक कुल 88 लाख छात्र है. जबकि, उन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ सवा पांच लाख शिक्षक हैं.


इस हिसाब से एक लाख 35 हजार शिक्षकों के पद खाली है. पिछले पांच साल से यही स्थिति बनी हुई है. जहां पहले वर्ष 2017 में यह नियम बनाया गया था कि बच्चों की संख्या बढ़ेगी तो शिक्षक बढ़ा दिए जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, नियम के अनुसार हर कक्षा के लिए एक शिक्षक होना चाहिए. 


10 हजार स्कूलों में एक-एक शिक्षक
प्रदेश के 10 हजार सरकारी स्कूलों में एक-एक शिक्षकों को लगाया गया है. मतलब, 10 हजारों स्कूलों को 10 हजार शिक्षक संभाल रहे हैं. वहां की हालात बेहद खराब है. तीन हजार स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है. वहां पर डेप्युटेशन के हिसाब से पढ़ाई चल रही है. पांच साल से शिक्षकों की डीपीसी नहीं हुई है, जिससे शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है. वर्ष 2013 से यही स्थिति बनी हुई है. पदोन्नति न होने से शिक्षक भी परेशान हो रहे हैं, जिससे पढ़ाई और छात्र दोनों प्रभावित हैं. 


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