Guru Purnima in Govardhan: राजस्थान के भरतपुर जिले की सीमा गोवर्धन से लगती है और गोवेर्धन में गुरु पूर्णिमा का लक्खी मेला चल रहा है.  गोवेर्धन मेले की रंगत भरतपुर में भी  खूब रहती है. भरतपुर से श्रद्धालु बसों में ऊपर नीचे भरकर कर गोवर्धन की परिक्रमा देने जाते हैं. इस बार भरतपुर के बस स्टैण्ड के आसपास भण्डारे और  प्याऊ लगाकर परिक्रमा देने वालों के लिए खाने पीने की व्यवस्था लोगों द्वारा की गई है. 


गोवर्धन में  गिरिराज महाराज की तलहटी में आयोजित गुरु पूर्णिमा मेला में पांच दिन तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है. हर कदम पर भक्तों के मुख से राधे-राधे का नाम निकलता है. कहीं मन्नत के लिए हाथ में दूध का गिलास तो कहीं कष्टों को हरने के लिए फव्वारे के नीचे स्नान करते श्रद्धालु दिखाई दिए. गोवर्धन में पांच दिन में  करीब 60 - 70 लाख श्रद्धालुओं ने गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगाई. रोडवेज ने अपनी 1200 सौ बसें संचालित कर लोगों को लाने और ले जाने का काम किया. गोवर्धन को पहुंचने वाले मथुरा से गोवर्धन, सौंख से गोवर्धन, बरसाना से गोवर्धन, डीग से गोवर्धन, छटीकरा से गोवर्धन इन सभी मार्गों पर कई किमी तक भीड़ ही भीड़ दिखाई दी.


गर्मी में भी नहीं रुके श्रद्धालु  
इस बार गोवेर्धन मेले की शुरुआत 9 जुलाई से हुई और समापन 13 जुलाई को मुड़िया  शोभायात्रा के साथ हुआ. बीच-बीच में हुई बरसात ने मौसम को सुहावना कर दिया. परिक्रमार्थी श्रद्धालु प्रसिद्ध गिरिराज दानघाटी मंदिर, मानसी गंगा मुकुट मुखारविंद मंदिर, जतीपुरा मुखारविंद मंदिर, हरिगोकुल मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि पर श्रद्धालुओं ने दुग्धाभिषेक कर मनौती मांगी. गिरिराज महाराज की तलहटी में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम इस बार देखने को मिला. श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना के लिए न तो धूप की चिंता की और न ही गर्मी के कारण परिक्रमा मार्ग की तपती सड़क की. 
मुड़िआ संतो ने निकली शोभा यात्रा 
गोवर्धन मेले का समापन मुड़िया संतो की शोभायात्रा के साथ ही होता है. आज गोवर्धन में ढोलक, हारमोनियम और मृदंग के साथ शोभायात्रा निकली. गोवर्धन में हरिनाम संकीर्तन के बीच गुरू भक्ति में तल्लीन होकर पहली मुड़िया शोभायात्रा राधाश्याम सुंदर मंदिर से निकाली गई. 


भरतपुर जिले में भी  धूमधाम और श्रद्धा के साथ गुरू पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया. मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड उमड़ पड़ी और शहर के श्रीबांकेबिहारी, मदनमोहनजी, ब्रहमचारी बगीची, वनखंडी हनुमान मंदिर, नदिय गोपाल जी मंदिर में फूल बंगला झांकी भी सजाई गई और भंडारे भी हुए.


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