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मां की मौत के एक महीने बाद तक बंदी को नहीं मिली पैरोल, अधिकारी घुमाते रहे फाइल, कोर्ट ने किया तलब
जोधपुर में जेल अधीक्षक और कलेक्टर की लापरवाही से एक कैदी को मां के निधन को एक महीना बीत जाने तक भी पैरोल नहीं मिली. अब इस मामले में अदालत ने संज्ञान लेते हुए जेल अधीक्षक व कलेक्टर को तलब किया है.
![मां की मौत के एक महीने बाद तक बंदी को नहीं मिली पैरोल, अधिकारी घुमाते रहे फाइल, कोर्ट ने किया तलब The detainee did not get parole till a month after the death of the mother, the officers kept rotating the file, the court summoned मां की मौत के एक महीने बाद तक बंदी को नहीं मिली पैरोल, अधिकारी घुमाते रहे फाइल, कोर्ट ने किया तलब](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/04/13/fe8f1e941f83514ca56c7d5d4aad0ae0_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
हमारे देश का कानून भी अजीब है, कभी किसी को समय पर सजा नहीं मिलती तो कभी किसी को समय पर रिहाई. इसका ताजा मामला राजस्थान के जोधपुर से सामने आया है, जहां जेल अधीक्षक और कलेक्टर की लापरवाही से एक कैदी को मां के निधन को एक महीना बीत जाने तक भी पैरोल नहीं मिली. अब इस मामले में अदालत ने संज्ञान लेते हुए जेल अधीक्षक व कलेक्टर को तलब किया है.
बीकानेर की केंद्रीय जेल में बंद गिरधारी सिंह की मां का निधन 9 मार्च 2022 को हुआ था. मां के निधन की खबर मिलते ही गिरधारी ने 10 मार्च को आकस्मिक पैरोल मांगी. जेल अधीक्षक ने उनकी अर्जी को कलेक्टर के पास भेज दी. उचित आदेश पारित नहीं होने के कारण कलेक्टर ने अर्जी अधीक्षक को वापस लौटा दी. पेरोल नियमों के अनुसार जिस अर्जी पर 4 दिन के अंदर फैसला हो जाना चाहिए था, अर्जी की वह फाइल एक महीने तक इधर-उधर घूमती रही. इसके बाद बंदी ने हाईकोर्ट में पैरोल की अर्जी लगाई. इस पर पिछली सुनवाई में आकस्मिक पैरोल मंजूर कर 7 दिनों में पैरोल दे दी गई. हाईकोर्ट ने मंगलवार को बंदी गिरधारी सिंह की अधिवक्ता रंजना सिंह मेड़तिया के आग्रह पर पैरोल को 7 दिन से बढ़ाकर 15 दिन कर दिया.
अधिकारियों के रवैये पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
अधीक्षक और कलेक्टर को बंदी को पैरोल मिलने में हुई देरी का कारण मानते हुए कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि जेल और पैरोल से जुड़े अधिकारियों को आकस्मिक पैरोल आवेदनों के निर्णय लेते समय सतर्क रहने, आवेदन मिलते ही एक सप्ताह में आदेश पारित करने के निर्देस दिए थे. वहीं पैरोल नियमों के अनुसार आकस्मिक पैरोल पर 4 दिनों में निर्णय पारित करना आवश्यक है.
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