Rajasthan Politics: राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग विधानसभा सीट पर हमेशा राज परिवार का दबदबा रहा है. भरतपुर रियासत जाट रियासत थी .भरतपुर जिला जाट बाहुल्य क्षेत्र है. भरतपुर की रियासत भी जाट रियासत होने के कारण लोगों में आज भी राजपरिवार के प्रति वही सम्मान है जो रियासत काल में होता था .


भरतपुर जिले की डीग विधानसभा 2003 तक अलग विधानसभा होती थी. लेकिन 2008 के परिसीमन में डीग - कुम्हेर विधानसभा को एक कर दिया गया था .विधानसभा चुनाव में वर्ष 1977 से लेकर 2018 तक डीग विधानसभा सीट पर सिर्फ एकबार डॉ.दिगंबर सिंह वर्ष 2008 के चुनाव में जीते है वर्ना हमेशा ही राजपरिवार के प्रत्याशी ने विजय प्राप्त की है. 
डीग विधानसभा सीट पर वर्ष 1977 से राजा मान सिंह निर्दलीय डीग की विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी .वर्ष 1980 के चुनाव में भी राजा मान सिंह निर्दलीय ही डीग विधानसभा सीट पर जीते थे. राजा मान सिंह ने कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार श्रीनाथ सिंह को हराया था .राजा मान सिंह को 18676 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी श्रीनाथ सिंह को 11575 वोट मिले थे .


राजा मान सिंह 21 फरवरी 1985 को मृत्यु होने के बाद उनकी पुत्री कृष्णेन्द्र कौर दीपा निर्दलीय डीग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी थी .उस समय सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई थी. 1985 में डीग विधानसभा सीट पर कुल मतदान 45442 मतदाताओं ने किया था, जिसमें से कृष्णेन्द्र कौर दीपा को 44139 वोट मिले थे .बाकि अन्य 5 प्रत्याशियों को 1303 वोट मिले थे .


वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में कृष्णेन्द्र कौर दीपा ने जनता दल से चुनाव लड़ा था .1990 में भी कृष्णेन्द्र कौर दीपा ने भरी बहुमत से जीत दर्ज की थी .वर्ष 1990 में कृष्णेन्द्र कौर दीपा को 39 हजार 433 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी मान सिंह को 14 हजार 267 वोट मिले थे .
वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में राजपरिवार के अरुण सिंह डीग विधानसभा सेट से निर्दलीय  में चुनाव लड़े और जीत कर विधानसभा पहुंचे थे .अरुण सिंह को 43 हजार 184 वोट मिले थे दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी मान सिंह धाबाई को 23 हजार 585 वोट मिले थे .


वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में डीग विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर रही थी निर्दलीय प्रत्याशी अरुण सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह में कड़ा मुकाबला हुआ था .वर्ष 1998 में अरुण सिंह को 23 हजार 799 वोट मिले थे तो कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को 23 हजार 700 वोट मिले थे .
वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में अरुण सिंह इनेलो ( इंडियन नेशनल लोकदल ) से चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज कर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे थे. 2003 के चुनाव में अरुण सिंह को 26 हज्जार 405 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह को 22 हजार 117 वोट मिले थे .वर्ष 2005 में विधायक अरुण सिंह मृत्यु हो गई थी उसके बाद उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह की पत्नी दिव्या सिंह चुनाव लड़ी थी और जीत दर्ज की थी .


2008 में राजपरिवार के सदस्य को हराया था
वर्ष 2003 के चुनाव बाद डीग विधानसभा को डीग - कुम्हेर कर दिया था और वर्ष 2008 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ.दिगंबर सिंह ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह को हराया था .वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कुम्हेर - डीग विधानसभा सीट पर जीते डॉ.दिगंबर सिंह को कुल 52 हजार 669 वोट मिले थे तो कांग्रेस के प्रत्याशी विश्वेंद्र सिंह को 49 हजार 145 वोट मिले थे .
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस पार्टी ने विश्वेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा और भाजपा ने दिगंबर सिंह को चुनाव लड़ाया था .वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के विश्वेन्द्र सिंह ने भारतीय जनत अपर्ति के प्रत्याशी डॉ.दिगंबर सिंह को हराया था .वर्ष 2013 के चुनाव में विश्वेन्द्र सिंह कुल 71 हजार 407 वोट मिले थे तो भारतीय  जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ.दिगंबर सिंह को 60 हजार 245 वोट मिले थे.


वर्ष 2018 के चुनाव में भरतपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली .कुम्हेर - डीग विधानसभा की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विश्वेंद्र सिंह चुनाव लड़े थे तो भारतीय जनता पार्टी ने डॉ.दिगंबर सिंह की मृत्यु हो जाने के बाद उनके बेटे डॉ. शैलेष सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन डॉ.शैलेष सिंह की हार हुई और राज परिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह की जीत हुई थी. राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह कुम्हेर - डीग विधानसभा क्षेत्र ही नहीं पुरे भरतपुर संभाग के दिग्गज नेता माने जाते है. वर्ष 2018 के चुनाव में विश्वेंद्र सिंह को कुल 73 हजार 730 वोट प्राप्त हुए थे और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ.शैलेष सिंह को 65 हजार 512 वोट मिले थे. विश्वेन्द्र सिंह ने भाजपा प्रत्याशी शैलेष सिंह को हराया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विश्वेन्द्र सिंह कैबिनेट मंत्री बनाया है .


डीग को जिला बनाने का मिलेगा फायदा 
वर्ष 2023 विधानसभा का चुनाव कुछ ही महीनो के बाद होने वाले है .मुख्यमंत्री ने राजस्थन में  नए जिले बनाने की घोषणा की है उनमें डीग को भी नया जिला बनाया गया है. इसका फायदा भी मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को मिलेगा. मुख्यमत्री अशोक गहलोत खुद भी भरतपुर संभाग पर फोकस किये हुए है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुम्हेर - डीग विधानसभा क्षेत्र में कई सौगात दी है जिसका फायदा भी मिलेगा और देखने वाली बात होगी की राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है. वैसे लोगों का कहना है की विश्वेन्द्र सिंह 36 कोमों के नेता है. संभाग में विश्वेन्द्र सिंह दिग्गज नेता माने जाते है भरतपुर संभाग में राजनीती विश्वेन्द्र सिंह का अलग ही प्रभाव है.


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