Year Ender 2023: राजस्थान के लिए राजनीतिक लिहाज से खास रहा साल 2023, चुनाव में दिग्गज हुए धराशायी
Flashback 2023: साल 2023 में अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है, लेकिन वर्ष 2023 राजस्थान के लिए कई मायनों में खास रहा है. इस वर्ष प्रदेश की सियासी गलियारों में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले.
Goodbye 2023: नया वर्ष 2024 आने वाला है और वर्ष 2023 को अलविदा कहने वाले हैं, लेकिन वर्ष 2023 कई मायनों में खास रहा है. इस वर्ष जहां राजस्थान सहित कई प्रदेशों में चुनाव हुए हैं. तो राजनीतिक गलियारों में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं. कई दिग्गजों को हार का सामना करना पडा तो कई नए चेहरे उभरकर सामने आए हैं. राजस्थान में बदलाव की परिपाठी बनी रही और रिवाज नहीं बदला, राजस्थान की जनता ने राज ही बदल दिया. वर्ष 2023 जाते-जाते कहीं खुशी तो कहीं गमों का पहाड दे गया. कांग्रेस का सत्ता में काबिज रहने का सपना टूट गया तो बीजेपी को सत्ता की कुर्सी मिल गई. वर्ष 2023 बीजेपी के लिए नया सूर्योदय कर गया तो कांग्रेस का सूर्य अस्त कर गया. कोटा संभाग की बात करें तो यहां भी बीजेपी को खुशियां ज्यादा मिली है और बीजेपी का गढ कायम रहा, जिसमें कांग्रेस और अन्य पार्टियां सेंध नहीं लगा सकी.
कोटा के दिग्गज नेता शांति धारीवाल अपने बयानों के लिए वर्ष 2023 में खासे चर्चा में रहे. विधानसभा में मर्दों का प्रदेश वाला मुद्दा वर्ष 2023 तक गूंजता रहा. कई धरने प्रदर्शन हुए. शर्मिंदा भी हुए लेकिन फिर वही बयानों का दौर जारी रहा. पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल यहीं नहीं थमे, कोटा में सिटी पार्क के शुभारंभ अवसर पर उन्होंने अशोक गहलोत सहित कई मंत्रियों के सामने फिर विवादित बयान दे दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कोटा में स्टूडेंट प्यार मोहब्बत के चलते सुसाइड कर रहे हैं. जिस मामले में यह बात कही गई उस स्टूडेंट के परिजनों ने इस पर सवाल खड़े कर दिए और शांति धारीवाल से ही सुबूत मांग लिए.
बीजेपी के लिए अच्छा रहा 2023
कोटा में इस बयान की भी तीखी आलोचना हुई, जब चुनाव परिणाम के बाद धारीवाल ने फिर कहा कि में तो सेकुरिजम के चलते जीता हूं. हालांकि वह इससे पूर्व भी कई विवादित बयान दे चुके हैं. जिसमें ब्राह्मण समाज को ठेस पहुंचाना जैसे मामले शामिल है, लेकिन उसके बाद भी यूडीएच मंत्री को जीत जैसे तैसे मिल ही गई.
वर्ष 2023 राजनैतिक लिहाज से बीजेपी के लिए अच्छा रहा. कोटा संभाग की 17 में से 11 सीटें बीजेपी के पास आई हैं, जबकी कांग्रेस को केवल 5 सीट से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया चुनाव हार गए. वसुंधरा ने 8 में से 7 सीटे जिताकर भेजी तो लोकसभा अध्यक्ष की संसदीय सीट पर एक सीट का नुकसान हुआ. यहां की 8 विधानसभा में से 4 पर हार और 4 पर जीत मिली. पहले पांच विधानसभा बीजेपी के पास थी.
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