Rajasthan Crime News: राजस्थान में चिटफंट कंपनियों के माध्यम से हुई ठगी के मामले में लोग लगातार आगे आ रहे हैं. अब पीड़ित ऑनलाइन ठगी (Online Fraud) की शिकायत दर्ज कर रहे हैं. इन मामलों में पुलिस कार्रवाई तो कर रही हैं, लेकिन मामलों की संख्या इतनी अधिक है कि पुलिस को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एसओजी के अनुसार कोटा सहित प्रदेश में लाखों लोगों के साथ ठगी की वारदात हुई. इसके बाद शिकायतें लगातार दर्ज हो रही हैं. कोटा में ही अकेले तीन हजार से अधिक शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं.


2021 से मिल रही है शिकायतें, कोटा में 86 करोड़ की ठगी
पुलिस तो अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है लेकिन सहकारिता विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए चिटफंड कंपनियों की ठगी के शिकार लोगों से शिकायतें ली थी. राजस्थान में 2021 से अब तक 1,10,558 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है.इनमें कुल 2,220 करोड़ रुपये की ठगी की शिकायत दर्ज है. कोटा सहकारिता के डिप्टी रजिस्ट्रार के अनुसार राजस्थान सरकार के सहकारिता विभाग भी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई कर रहा है.उन्होंने सहकारिता विभाग की पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन पर इस तरह की शिकायतें ऑनलाइन ली हैं. कोटा जिले में 3297 लोगों ने अब तक शिकायत की है.उनकी राशि करीब 86 करोड़ के आसपास है. 


कंपनियों की लालच में फंसते चले जाते हैं लोग 
कोटा संभाग की बात करें तो कोटा जिले में 3,297 लोगों ने अब तक शिकायत की है.इनमें से 86.50 करोड़ रुपये फंसे हैं. सबसे कम शिकायतें बूंदी जिले से 406 हैं. यहां के लोगों की राशि 7.38 करोड़ है. जबकि सबसे कम राशि झालावाड़ की है.यहां के 462 लोगों के 6.87 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं.इन चिटफंड कम्पनियों में आदर्श क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी, संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी, नवजीवन, दी यूनाइटेड क्रेडिट सहित अन्य कंपनियां शामिल हैं.इसमें अपेक्षा ग्रुप द्वारा भी बडी संख्या में लोगों के पैसों को लिया गया और ठगी की गई.इसकी जांच एसआईटी कर रही हैं. इसमें अब तक 38 डायरेक्टर समेत कई लोग गिरफ्तार हुए हैं. पहले यह लोग लालच देते हैं, 25 से 40 प्रतिशत तक रिर्टन दिया जाता है.सभी लोग ज्यादा रिटर्न के लालच में आ जाते हैं.कुछ समय तक पैसा आता है तो विश्वास जम जाता है और लोग फंसते चले जाते हैं, उन्हें देख दूसरे भी शिकार हो जाते हैं.


प्रभावशाली लोगों को जोड़ती हैं कंपनियां 
पुलिस ने बताया कि चिटफंड कंपनियां प्रभावशाली लोगों को इसमें जोड़ती हैं.इनमें सीए, इंजीनियर और सरकारी नौकरी वाले लोग शामिल हैं. इनको देखकर दूसरे लोग भी समझते हैं कि इन्होंने पैसा लगा रखा है,तो हम भी पैसा लगा सकते हैं.अपेक्षा ग्रुप में भी कुछ इसी तरह के सरकारी कार्मिक पकड़ में आए हैं.इनमें बड़े-बड़े सरकारी महकमों में लेखा राजस्व और अन्य विभागों में कार्यरत लोग शामिल थे.दूसरा सबसे बड़ा यह है कि इनमें सरगना अपने नजदीकी रिश्तेदारों को ही शामिल करता है.ज्यादा दूर दराज के लोगों को सदस्य नहीं बनाते हैं.क्लोज सर्किल की चेन बनाई जाती है.इसके साथ ही कोई व्यक्ति अगर तुरंत आपत्ति जताता है, तो उसका हिसाब तुरंत ही कर दिया जाता है,ताकि गड़बड़झाले का शक अन्य लोगों को न हो.ऐसा करने के बाद लोग इनके जाल में फंसते चले जाते हैं और उनका पैसा डूब जाता है. 


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