Rajasthan: शहीद लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी से जुड़ी यादें, पिता की जुबानी अनसुनी बातें
Lieutenant Abhinav Nagauri's Untold Stories: शहीद लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी के पिता धर्मचंद नागौरी के मुताबिक अभिनव बहुत अच्छे तैराक थे. इसके अलावा वह बहुत बड़े प्रकृति प्रेमी भी थे..
Lieutenant Abhinav Nagauri: 24 मार्च 2015 देश के लिए बहुत ही दुखद भरा दिन था. इसी दिन एक विमान हादसे ने लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी शहीद हो गए थे.अभिनव मूलतः उदयपुर के रहने वाले थे. इस हादसे को 8 साल बीत चुके हैं, फिर भी शहर में उनका नाम आता है, तो लोग उनके जज्बे को सलाम करते हैं. इन 8 सालों में शहीद अभिनव नागौरी के बारे में कई बातें सामने आई, लेकिन शिक्षा विभाग में उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए उनके पिता धर्मचंद नागौरी ने एबीपी न्यूज़ को उनके तीन ऐसे संदेश के बारे में बताया, जो अभी तक दुनिया के सामने नहीं आ पाया था.
ये हैं वो तीन कहानी
शहीद लेफ्टिनेंट अभिनव नागौरी के पिता धर्मचंद नागौरी ने कहा कि बेटा अभिनव बहुत अच्छा तैराक था. शायद इसी की वजह से उसे नौ सेना में जाना था. इसके अलावा वह बहुत बड़ा प्रकृति प्रेमी भी था. वह पौधों को अपने बच्चों की तरह मानता था. उसके साथ ही तैराकी, साइकिल चलाना और खाना पकाने के साथ-साथ अभिनव को संगीत भी पसंद था और उसके पास एक वायलिन था, जिसे उसने इंटरनेट के माध्यम से बजाना सीखा था. यह बातें तो लगभग सभी जानते हैं, लेकिन उनकी तीन ऐसी बातें भी हैं, जो मुझे खुद प्रेरणा देती है.
स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा
अभिनव की यह बात काफी प्रेरणा देती है कि वह अकसर स्वदेशी वस्तुओं पर जोर देता था. उसकी मां सुशील नागौरी (शिक्षा विभाग से उप निदेशक पद से सेवानिवृत्त) जब प्रिंसिपल थीं, तब वह उनसे बार-बार कहता था कि आप स्कूल में जाओ तो सभी बच्चों को स्वदेशी वस्तुएं खरीदने की कहना. अगर महंगी हो तो कम खरीदें, लेकिन स्वदेशी ही खरीदें. उन्होंने बताया कि मैं खुद जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर था, तब मुझे भी कहा करता था कि स्वदेशी वस्तुओं से युवाओं को अच्छा रोजगार मिलेगा.देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और देश उन्नति करेगा.
केयर टेकर से नहीं कराते थे काम
धर्मचंद नागौरी का कहना है कि अभिनव स्वावलंबी था.घर हो या जॉब, हर जगह वह अपना काम खुद करता था. एक बार अभिनव का केयर टेकर मिला, जो नौ सेना में अधिकारियों के होते हैं.उन्होंने मुझे एक दिन एक बात बताई.उसने कहा कि अभिनव साहब हमेशा अपना काम खुद करते थे.एक दिन मुझे बुखार था तो उन्होंने मेरा चेहरा देखा और तबियत पूछी. मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने आराम करने को कहा और कोई काम नहीं करने दिया.इसी प्रकार वह हर काम खुद ही करता था.
सबसे पहले देश सेवा
उन्होंने बताया कि अभिनव के लिए सबसे पहले देश सेवा थी. इसके आगे वह किसी को नहीं मानता था.एक बार क्या हुआ कि हम जिस घर में रहते हैं. उसे खरीदने के लिए बैंक से लोन करवाना था.लोन अभिनव के नाम से ही करवाना था.सारे डॉक्यूमेंट पूरे हो चुके थे और उसका बैंक से ड्राफ्ट लेना था, लेकिन बैंक अधिकारी ने अभिनव को ही देने की बात कही. अभिनव को छुट्टी के लिए कहा, लेकिन उसने कहा अभी नहीं आ सकता. 10 दिन बाद की छुट्टी है. इधर बैंककर्मी और जिससे मकान खरीद रहे थे, वे रुक नहीं रहे थे. अभिनव नहीं आया, तो फिर से लोन प्रोसेस की और उनकी माता जी के नाम से लोन करवाया.
इन स्थानों पर दी अपनी सेवा
उन्होंने बताया कि अभिनव ने बेंगलुरु में एसजेबी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की और 2012 में पास आउट हुआ था. इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कई नौकरियों को ठुकरा दिया और नौसेना में शामिल हुआ. अभिनव ने आईएनए में छह माह बिताने और एयरफोर्स अकादमी में एक साल का पायलट प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 25 जुलाई 2012 को नौसेना में कमीशन दिया गया. केरल के एझिमाला (INA) में भारतीय नौसेना अकादमी, कर्नाटक में वायु सेना स्टेशन (AFS), येलहंका और हैदराबाद के पास वायु सेना अकादमी (AFA), डुंडीगुल में काम किया था.
24 मार्च 2015 को विमान डॉर्नियर-228 में लेफ्टिनेंट किरण शेखावत, सह-पायलट लेफ्टिनेंट अभिनव नागोरी और कमांडर निखिल जोशी की एक सक्षम और अनुभवी टीम के साथ एक निगरानी प्रशिक्षण मिशन पर था. मिशन के दौरान डोर्नियर विमान का गोवा तट से दूर हवाई यातायात नियंत्रण से संपर्क टूट गया और प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया. भारतीय नौसेना ने खोज जहाजों, हेलीकॉप्टरों और नौसेना के गोताखोरों के माध्यम से बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू किया. इस दौरान नौसेना के गोताखोरों ने 27 मार्च 2015 को अभिनव का शव दुर्घटनाग्रस्त डोर्नियर विमान के धड़ से गोवा तट से दूर बरामद किया. जबकि पायलट कमांडर निखिल जोशी को एक मछुआरे ने बचा लिया था.