Rajasthan Politics: कांग्रेस ने राजस्थान में क्यों बनाया पहला दलित नेता प्रतिपक्ष? जानिए क्या हैं इसके सियासी मायने
Tika Ram Jully: कांग्रेस विधायक टीकाराम जूली हरियाणा बॉर्डर से आते हैं. कांग्रेस पार्टी हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दलित वोटरों पर ध्यान देना चाहती है.
Rajasthan Leader of Opposition: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मंत्री टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. पिछली गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे टीकाराम जूली अलवर ग्रामीण सुरक्षित सीट से विधायक हैं. तीसरी बार के विधायक जूली पार्टी में बड़ा कद रखते हैं. इनके नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद यह साफ हो गया है कि गोविंद सिंह डोटासरा ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहेंगे.
पार्टी एक तरफ जहां जाट को अध्यक्ष बना करके बड़ा संकेत दे रही है, वहीं दूसरी तरफ दलित वर्ग से आने वाले टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. राजस्थान में पहली बार किसी दलित को कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बनाया है. दरअसल, राजस्थान से हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर वाले जिलों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. वहीं राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस को नुकसान हुआ है. उसके मद्देनजर पार्टी ने टीकाराम जूली को बड़ी जिम्मेदारी दी है.
चार राज्यों पर नजर
दरअसल, टीकाराम जूली हरियाणा बॉर्डर से आते हैं. कांग्रेस पार्टी हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दलित वोटरों पर ध्यान देना चाहती है. दरअसल, कई वर्षों से राजस्थान में कांग्रेस ने किसी दलित को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी थी. एक बार कांग्रेस ने जगन्नाथ पहाड़िया को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन उसका बहुत माइलेज नहीं मिल पाया था. ऐसे अब पार्टी दलित और जाट वोटर्स पर पूरी तरह से फोकस है.
ये भी है एक मकसद
राजस्थान कांग्रेस के पास दलितों का कोई बड़ा चेहरा नहीं था. ऐसे में पार्टी टीकाराम जूली पर दांव लगाकर यह बात साबित करना चाहती है कि राजस्थान कांग्रेस में टीकाराम जूली जैसा एक बड़ा दलित चेहरा उनकी पार्टी है. 43 साल के टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाकर कांग्रेस पार्टी लंबे समय के लिए एक मजबूत नेता बनना चाह रही है.
यह भी है एक संदेश
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि कांग्रेस पार्टी टीकाराम जूली के बहाने कई राज्यों में दलितों को बड़ा संदेश देना चाहती है. अलवर से बसपा ने कई बार चुनाव जीते हैं. ऐसे में दलित समुदाय को एक मजबूत नेता देने की कोशिश है. यह आने वाले दिनों में बड़ा असर दिखा सकता है.
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