Banswara News Today: राजस्थान के आदिवासी समुदाय ने 'भील प्रदेश' की मांग को लेकर बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में महारैली की. प्रदेश में तेज गर्मी और उमस के बीच आदिवासी समुदाय की इस महारैली के बाद प्रदेश का सियासी पारा बढ़ गया है. 


हालांकि आदिवासी समाज की भील प्रदेश बनाने की मांग प्रदेश सरकार पहले की खारिज कर चुकी है. आदिवासी समुदाय की मांग के मुताबिक, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर 'भील प्रदेश'नाम से नए राज्य का गठन किया जाए. 


35 आदिवासी संगठनों ने बुलाई महारैली
इसके तहत राजस्थान के 33 जिलों में से 12 जिलों को इस नए राज्य में शामिल करने की आदिवसी समुदाय मांग कर रहा है. गुरुवार (18 जुलाई) को बांसवाड़ा में हुई महारैली के लिए 35 आदिवासी संगठनों ने इसको बुलाया था. 


 'हम आदिवासी नहीं हैं हिंदू'
इसमें में भील सोसायटी की सबसे बड़ा संगठन आदिवासी परिवार भी शामिल था. इस मौके पर आदिवासी परिवार संस्था की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने रैली में कहा, "आदिवासी समुदाय की महिलाओं को पंडितों के निर्देशों का पालन नहीं करना चाहिए."


मेनका डामोर ने कहा कि आदिवासी परिवार की महिलाएं सिंदूर नहीं लगाती हैं और न ही मंगलसूत्र पहनती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में आदिवासी समुदाय को सिर्फ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. मेनका डामोर ने अपने संबोधन में कहा कि अब से सभी को व्रत रखना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि हम हिंदू नहीं हैं.


बता दें, आदिवासी परिवार संस्था चार राज्यों में फैली है. इस रैली के दौरान भारत आदिवासी पार्टी के बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने भील प्रदेश बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भील प्रदेश बनाने की मांग कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा  कि BAP इस मांग को सभी मंचों से पुरजोर तरीके से उठा रही है. 


महारैली से पहले इंटरनेट सेवा बंद
आदिवासी समुदाय की ये महारैली उनके ऐतिहासिक स्थल बांसवाड़ा के मानगढ़ में आयोजित की गई थी. इसमें महारैली में राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे. 


इस बैठक को लेकर सुरक्षा एजेंसिया अलर्ट मोड पर थी और रैली वाले स्थान पर इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था. इस महारैली के बाद आदिवासी समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल अपनी मांगों को लेकर महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा. 


इस मांग को बाबूलाल खराड़ी ने किया खारिज
आदिवासी समुदाय की मांग के तहत, भील प्रदेश में राजस्थान के 12 और मध्य प्रदेश के 13 जिलों को शामिल किया गया है. इस मांग को लेकर राजस्थान के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने सिरे से खारिज कर दिया. 


उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर राज्य का गठन नहीं किया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो दूसरे लोग इसी तरह की मांग करेंग. हम केंद्र सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे.


कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने इस मौके पर कहा कि जिन लोगों ने अपना धर्म बदल लिया है, ऐसे लोगों को आदिवासी कोटे का आरक्षण नहीं मिलना चाहिए.


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