Rajasthan News: उदयपुर में आदिवासी महिलाएं गोबर से बना रही हैं राखियां, जानें क्या है एक राखी की कीमत
Udaipur News: उदयपुर में आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं गोबर से राखियां बना रही हैं. इन रंग बिरंगी विभिन्न डिजाइन वाली एक राखी की कीमत मात्र 8 रुपये है. अब तक एक हजार से ज्यादा राखियां बनी हैं.
Raksha Bandhan 2023: भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार रक्षा बंधन आने वाला है.ऐसे में कपड़ों से लेकर अन्य गिफ्ट आइटम तक के बाजार सज चुके हैं. खासकर राखियों की दुकानें हर जगह देखी जा सकती हैं.बाजार में अलग-अलग वेरायटी की राखियां देखने को मिल रही हैं. उदयपुर में एक अलग प्रकार की राखी बनाई जा रही है, जो पर्यावरण के अनुकूल भी हैं. आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं गोबर से राखियां बना रही हैं. बड़ी बात यह है कि रंग-बिरंगी डिजाइन वाली इस एक राखी की कीमत मात्र 8 रुपये है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है यह राखी और कैसे बनती है.
कौन बनवा रहा है गोबर से राखी
उदयपुर जिले के जनजाति क्षेत्र गोगुंदा ने हैंड इन हैंड इंडिया नामक संस्था चल रही है. इस संस्था के सहयोग से यहां की आदिवासी महिलाएं गोबर से राखियां बना रही हैं. हैंड इन हैंड इंडिया संस्थान के मुख्य प्रबंधक राजीव पुरोहित ने बताया कि संस्थान की तरफ से समूह की महिलाओं को गोबर से बने उत्पादों का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इससे वो अपने घर बैठे आजीविका का साधन कर सकें. गांवों में गोबर आसानी से उपलब्ध हो जाता है और इसे हमारी संस्कृति और सभ्यता में सबसे पवित्र और शुद्ध माना जाता है.इसे एक प्रक्रिया के द्वारा तैयार किया जाता है.
गोबर से और क्या बन रहा है
राखियों के अलावा भी कई उत्पाद गोबर से बनाए जाते हैं. पुरोहित ने बताया कि प्रक्रिया अपनाकर बनाने से गोबर के इन उत्पादों से बदबू भी नहीं आती है. उत्पाद की बात करें तो गिफ्ट आइटम, गणेश मूर्ति, राधा कृष्ण मूर्ति, स्वास्तिक गणेश मूर्ति, राखियां,दीपक, डिजाइनर दीपक,मोमेंटो, फोटो फ्रेम, नेमप्लेट बनाए जा रहे हैं.इनके अलावा कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के मॉडल और राजनीतिक पार्टियों के चिन्ह बनाए जा रहे हैं और बनाए जाएंगे. इसकी मार्केटिंग अभी स्थानीय स्तर पर हैंड इन हैंड इंडिया संस्थान की ओर से की जा रही है.
एक राखी बनने में कितने दिन का समय लगता है
संस्थान के शाखा प्रबंधक प्रकाश मेघवाल ने बताया कि राखी बनाने के लिए सबसे पहले गोबर को एकत्र कर उसे दो से तीन दिन तक सुखाया जाता है. फिर उसे मशीन में आटे की तरह पीसा जाता है.पीसे हुए गोबर में लकड़ी का पाउडर मिलाया जाता है. इसके बाद इस मिश्रण में पानी मिलकर रोटी के आटे की तरह गूथा जाता है.इसके बाद जैसी राखियां बनानी हैं, उस तरह के सांचे में डाला जाता है. उसे दो दिन तक छाए और एक दिन धूप में सुखाया जाता है. इस तरह चार की प्रक्रिया के बाद राखियां बनकर तैयार हो जाती हैं. इसके बाद उनमें खूबसूरती के लिए रंग भरा जाता है. इसके बाद उनमें धागा चिपकाया जाता है.
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