Rajasthan: 'डी लिस्टिंग' पर 18 जून को आदिवासी समाज की बड़ी रैली, वेलाराम घोघरा बोले- यह टीएसपी को खत्म करने साजिश
Velaram Ghoghara: वेलाराम घोघरा ने कहा कि यह समाज के अंदर का मामला है. इसका समाज पर क्या असर है यह आदिवासी समाज ही बैठकर तय करेगा, लेकिन इस मुद्दे को राजनीतिक एजेंडा बनाया जा रहा है.
Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर में 18 जून को एक बड़ी रैली निकलने वाली है जिसमें 1 लाख आदिवासी समाज के लोगों के जुड़ने का दावा किया जा रहा है. मुद्दा है 'डी लिस्टिंग' का यानी जो आदिवासी अपना धर्म परिवर्तन कर चुका है उसे जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के लाभ से बाहर किया जाए. इस मुद्दे पर आदिवासी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि टीएसपी एरिया को खत्म करने की यह एक बड़ी साजिश है.
'यह समाज के अंदर का मामला, इसे राजनीतिक एजेंडा ना बनाया जाए'
बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने एबीपी से बातचीत करते हुए कहा कि डी लिस्टिंग की जो बात आ रही है, मेरी समझ में यह आ रहा है कि जो आदिवासी कन्वर्ट हो चुके हैं उन्हें टीएसपी की सूची से बाहर करो. मेरा यह मानना है कि इसे राजनीतिक एजेंडा बनाया जा रहा है. समाज में क्या कर रहा है, कौन कहां जा रहा है यह समाज के अंदर का मामला है. इसे राजनीतिक एजेंडा नहीं बनाना चाहिए. इसका समाज पर क्या असर है समाज बैठकर तय करेगा.
'यह आदिवासी या टीएसपी क्षेत्र को खत्म करने की साजिश'
उन्होंने कहा कि यह आदिवासी या कहें कि टीएसपी क्षेत्र को खत्म करने की साजिश है जिसे लोग समझ नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो आदिवासी धर्म परिवर्तन कर रहे हैं वह गलत है. वह तो यही चाहते हैं कि आदिवासियों को बाटो और अपने में मिलाकर अपनी संख्या बढ़ाओ. कुर्सी के लिए सभी आदिवासियों को बांटने का काम कर रहे हैं.
'आदिवासियों के लिए नीति बनाए सरकार'
वेला राम घोघरा ने आगे कहा कि हम तो यह चाहते हैं कि भारत सरकार आदिवासियों के लिए नीति बनाए. उन्होंने समझाते हुए कहा कि जैसे कोई भी समाज देश में कही भी जाए तो वह उसी समाज का रहता है, वहीं आदिवासियों की जाति बदल दी जाती है जिसका सबूत भी है. जैसे एक बाड़मेर का आदिवासी भाई है वह दिल्ली में रहता है, दिल्ली सरकार उसे एसटी नहीं एससी मानती है ऐसा क्यों, इसके लिए नीति बननी चाहिए. हमारा ना किसी पार्टी से झगड़ा है और ना किसी धर्म से. हम तो यह कहते हैं कि राजनीति ना करें.
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