Rajasthan News: राजस्थान की पर्वतारोही पुलिस ने किया कमाल, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा
राजस्थान के पुलिस इंस्पेक्टर रतन सिंह ने इस साल 26 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहराकर गणतंत्र दिवस मनाया.रतन सिंह अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों में शामिल हैं.
Udaipur News : पुलिसकर्मी समाज में क्राइम कंट्रोल के लिए ही हमेशा तैनात रहते हैं. लेकिन ऐसे भी पुलिसकर्मी हैं जो अपने रोजमर्रा के काम से अलग कुछ ऐसा काम भी करते हैं जिससे समाज ही नहीं पूरे देश में नाम हो जाता है. मेवाड़ यानी उदयपुर के रहने वाले पुलिस इंस्पेक्टर रतन सिंह ऐसा काम कर रहे हैं जिससे पुलिस विभाग और राजस्थान ही नहीं देश का भी नाम रोशन हो रहा है. उन्हें सिर्फ पुलिस नहीं पर्वतारोही पुलिस के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह विश्व की ऊंची चोटियों को फतह कर चुके हैं. 26 जनवरी को तो उन्होंने ऐसा कारनामा किया कि सभी चौक गए हैं. उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह कर तिरंगा लहराया है. ऐसा करने वाले वह पहले पुलिसकर्मी बन गए हैं. इंस्पेक्टर रतन सिंह मूलतः उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले हैं और अभी संभाग के ही बांसवाड़ा जिले के कोतवाली थाना में थानाधिकारी पद पर तैनात है.
5895 मीटर ऊंची किलिमंजारो चोटी फतह करने की यात्रा का अनुभव साझा किया
किलिमंजारो अफ्रीका के तंजानिया में है और समुद्र तल से 5895 मीटर की ऊंचाई पर है. रतन सिंह ने बताया कि उन्होंने से इस मिशन की शुरुआत 20 जनवरी को ही तंजानिया के अरुशा शहर से शुरू की. उनके साथ एक्सपर्ट की टीम थी. वे लोग 1800 मीटर की ऊंचाई पर मचामे गेट पर थे. फिर चढ़ाई शुरू की और अगले दिन मचामे कैंप में पहुंच गए. वहां रुके और 22 जनवरी को 3750 मीटर पर शीराकेव और 23 जनवरी को 3930 मीटर पर बारनाको कैंप पहुंचे. उसी रात को 12 बजे उन लोगों ने अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के लिए यात्रा शुरू की. उन्होंने बताया कि चढ़ाई के वक्त -15 डिग्री तापमान था और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. एक वक्त ऐसा भी आया कि उनका ऑक्सीजन सामान्य से काफी कम हो गया. थकान के साथ दर्द महससू होने लगा. फिर भी वे हार नहीं माने और चोटी तक पहुंचे. चोटी पर तिरंगा और राजस्थान पुलिस का झंडा फहराया.
वर्ष 2009 में कांस्टेबल भर्ती का सर्च कर रहे थे तभी जिंदगी का यह मोड़ आया
इंस्पेक्टर रतन सिंह ने बताया कि वर्ष 2009 की बात है जब नेट पर कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में आवेदन के लिए सर्च कर रहे थे. इसमें एक कांस्टेबल की खबर देखी थी जिसे गैलेंट्री मिला था क्योंकि वह पर्वतारोही था. तब से कुछ रुचि जगी और माउंटेन के बारे में पढ़ने लगे. कांस्टेबल पद पर भर्ती होकर सब इंस्पेक्टर पद के लिए तैयारी करने लगे और इसमें भी चयन हो गया. फिर वर्ष 2010 में जयपुर के झालाना में उनकी ट्रेनिंग हो रही थी. उसमें बेसिक कोर्स में माउंटेन चढ़ने के बारे में बताने के लिए एक्सपर्ट आए थे. उन्होंने उन्हें बेसिक ट्रेनिंग दी. यहीं से ज्यादा रुचि बढ़ी और एक्सपर्ट से इसके बारे में जानकारी ली तो उन्होंने कोर्स के बारे में बताया.
सेना के साथ बेसिक और फिर एडवांस कोर्स किया
रतन सिंह बताते हैं कि वे जम्मू-कश्मीर और लेह गए और वहां से पर्वतारोही का बेसिक और एडवांस कोर्स किए. दोनों कोर्स में पास भी हो गए. फिर जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग स्थिति 4500 मीटर का थाजियावास माउंटेन चढ़े, इसके बाद लेह में 5800 मीटर ऊंचे गोलफ़ कांगड़ी माउंट पर चढ़े. यह कोर्स का हिस्सा था कि अगर कोर्स के बाद इस पर चढ़ गए तब पास माने जाओगे. चढ़ने के बाद सेना ने दोनों कोर्स का सर्टिफिकेट दिया.
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