Udaipur Father Son Story: उदयपुर में 12 वर्षीय बेटे के इंस्ट्रक्शन पर कैब कंपनी का बाइक चालक सवारियों को मंजिल तक पहुंचाता है. देखने-सुनने में अक्षम पिता के साथ बेटा बाइक की टंकी पर बैठता है. मनन जैन का काम सवारी से बात कर पिता को इंस्ट्रक्शन देना है. रैपिडो चालक की कहानी काफी हृदय विदारक है. 7वीं क्लास के छात्र मनन जैन ने बताया कि पिता किशोर जैन और माता हर्षित जैन दोनों बोल-सुन नहीं सकते हैं.
कोरोना काल से पहले दोनों खींचा पापड़ बनाने का काम करते थे. लॉकडाउन की वजह से कारोबार ठप हो गया. मालिक ने मकान को अन्य के हाथों बेच दिया. परिवार एक बार फिर किराए के मकान में आ गया. बेटे ने बताया कि घर का गुजारा चलाने के लिए पापा को दुकानों में काम करना पड़ा.
आज का 'श्रवण कुमार' बना 12 वर्षीय बेटा
बोलने-सुनने में अक्षम शख्स के लिए उपयुक्त काम की तलाश इंटरनेट पर सर्च की. यूट्यूब पर सर्च करते हुए रैपिडो का विकल्प मिला. पापा के पास पहले से बाइक ने काम को आसान बना दिया. ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अप्लाई किया. अंकल के लाइसेंस से पापा का रजिस्ट्रेशन हो गया.
घर का खर्चा चलाने के लिए पिता की मदद
अब समस्या थी कि पापा सवारियों से डील कैसे करेंगे. सवारी को भेजने के लिए कुछ मैसेज टाइप कर पापा को दिखाए जैसे रीचिंग इन 5 मिनट, आई एम ऑन द वे. अब स्कूल से आने के बाद पापा का हाथ बंटाता हूं. मेहनत से दिन के 500-700 रुपए की आमदनी हो जाती है. राजस्थान संस्कृति एंव साहित्य संस्थान के रोहित बंसल ने बताया कि मनन जैन को उदयपुर रत्न सम्मान समारोह में यंग अचीवर से सम्मानित किया जा चुका है. कम उम्र में माता-पिता को आर्थिक मजबूती देने की अनोखी सोच काबिले तारीफ है.