Udaipur News: राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार ने प्रदेश में मेडिकल क्षेत्र में बड़ी राहत दी हुई है. यहां इलाज और दवाइयां पूर्ण रूप से निशुल्क हैं. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि, लोगों को निजी हॉस्पिटल की भारी भरकम फीस ना चुकानी पड़े, लेकिन उदयपुर (Udaipur) में एक निजी लेब में सरकार से निशुल्क मिलने वाली दवाइयों का जखीरा मिला है. बाजार में इसकी एक वाइल 1500 से 2000 रपपये तक में मिलती है.


इस मामले के बाद सवाल उठता है की सरकार की निशल्क चिकित्सा सुविधा में सेंध कैसे लगी. कीमती दवाइयां जो गरीब मरीजों के काम की हैं, वो निजी लेब तक कैसे पहुंची. मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शंकर एच बामनिया ने बताया कि शहर में क्षिप्रा लैब में सरकारी दवाओं के उपयोग की जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य भवन से टीम सहित छापा मारा गया. कार्रवाई के समय लैब के एमडी  रेडियोलॉजिस्ट डॉ भरत जैन से सम्पर्क करने पर उनके हेल्पर रवि ने स्टोर का निरीक्षण करवाया.


मिली सरकारी दवाइयां
इसमें किसी प्रकार की सामग्री नहीं पायी गई. इसके बाद जांच टीम द्वारा जब सिटी स्कैन रूम खुलवाया गया, तो रूम में लगे फर्नीचर की दराजों में सरकारी दवाइयां प्राप्त हुई. साथ ही वेस्ट के दो पैकेट में खाली सरकारी इंजेक्शन वाइल भी प्राप्त हुई, जो सिटी स्कैन के लिए मरीजों को दी जाती है. इस दौरान 296 खाली वाइल पर सरकारी छाप लगी हुई पाई गई. उन्होंने बताया कि हेल्पर रवि ने स्वीकार किया कि यहां Iohexol इंजेक्शन की 50 एमएल की वाइल मरीजों को लगाई जाती है. इस एक वाइल की कीमत बाजार में 1500 से 2000 रुपये है.


मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इसके बाद लेब टीम से क्लिनिक स्टेब्लिशमेंट, बायोवेस्ट मैनेजमेंट और अन्य दस्तावेज मांगे गए, लेकिन उन्होंने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए. सरकारी दवाओं का निजी लेब द्वारा दुरुपयोग करना कानुनन जुर्म है. इसकी सूचना हाथीपोल थाने में दर्ज करवाई गई है. क्षिप्रा लेब से कोई भी व्यवस्थापक और मालिक उपस्थित नहीं हुए. वहीं उपस्थित स्टाफ से पुछताछ करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सिटी स्कैन लेब को सील कर दिया गया.


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