Udaipur News: उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉडगेज रेलवे ट्रैक (Railway Track Blast Update) पर उदयपुर से 35 किलोमीटर दूर ओडा ब्रिज पर हुए ब्लास्ट मामले में अब तक खुलासा नहीं हो पाया है. लेकिन अब एजेंसियों की जांच का पलड़ा नक्सली अटैक की संभावना पर ज्यादा आ रहा है. इसके पीछे भी कई कारण हैं, लेकिन ब्लास्ट मामले में एक बड़ी बात सामने आई है. यह विस्फोट super power 90 नामक विस्फोटक से किया गया था. इसमें भी चौंकाने वाली बात यह है कि यह एक्सप्लोसिव ऑनलाइन भी मिल रहा है. आइए जानते हैं क्या है super power 90 और जांच एजेंसियां इसे नक्सली एंगल से क्यों देख रही है?


25 किलो का एक पैकेट 2910 रुपए में
रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट होने के बाद जब पुलिस और जांच एजेंसियां मौके पर पहुंचीं, तो उन्हें जिस विस्फोटक से ब्लास्ट हुआ उसका एक टुकड़ा मिला. इसपर लिखा था 'super power 90, 50 से अधिक देशों में संतुष्ट उपभोक्ता' जब इस नाम से गूगल पर सर्च किया गया तो महाराष्ट्र की एक कंपनी का नाम आया. कंपनी में इस superpower 90 के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी. साथ में ऑनलाइन खरीदने का ऑप्शन भी था. 25 किलो का एक पैकेट 2910 रुपए में मिल रहा है जिसे 7 दिन के अंदर डिलीवरी के लिए कहा जा रहा है. इसमें किसी प्रकार से उपभोक्ता से कोई लाइसेन्स की डिमांड नहीं मांगी जा रही है. एबीपी ने दिए गए नम्बर पर कॉल किया तो सामने से किसी व्यक्ति ने उठाया. इसे जैसे ही राजस्थान के उदयपुर से बोलना बताया तो उन्होंने कॉल काट दिया फिर नहीं उठाया. 


उदयपुर में डीलर नहीं करते सप्लाई
उदयपुर में माइनिंग एरिया है, जहां ब्लास्ट करने के लिए भी नियमानुसार विस्फोटक सामग्री दी जाती है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि super power 90 के बार में उदयपुर के डीलर और जानकारों से पुलिस ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उदयपुर में यह विस्फोटक सप्लाई नहीं होता है. ऐसे में अगर यहां इसकी सप्लाई नहीं है तो आरोपियों ने इसे बाहर से मंगवाया था. अब जांच एजेंसियां यह भी देख रही है कि यह कहा से सप्लाई हुआ है. 


नक्सली एंगल की ज्यादा संभावना क्यों
पुलिस सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में इस घटना को एक आतंकी घटना की तरह से देखा गया और इसके साथ स्थानीय शरारत तो नहीं यह भी जांच की लेकिन जिस पैटर्न से ब्लास्ट किया गया है वह नक्सली तरीका ही है. इसी कारण मध्यप्रदेश झारखंड सहित अन्य नक्सली एरिया में जांच का दायरा बढ़ा है. सामने आया ब्लास्ट करने के लिए डोर को जलाते है जैसी पटाखों में होती है. इसे दूर से जलाया जाता है जिससे ब्लास्ट के बाद ब्लास्ट करने वाले को नुकसान ना हो. जब डोर जलती है तो वह अपने निशान छोड़ती है. लेकिन मौके ब्लास्ट के पास ही ऐसे कुछ निशान मिले हैं. दूर से जलाने के कोई निशान नहीं है. यानी कि अच्छे से प्रशिक्षित व्यक्ति ने इसे ब्लास्ट किया है और सटीक किया. इसके अलावा भी कई बातें सामने आ रही है जिस पर एजेंसियां जांच कर रही ही नतीजे पर नहीं पहुंची.


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