Madan Mohan Malviya Government Ayurveda College: मेडिकल छात्रों को पढ़ाई के लिए इंसान के मृत शरीर की आवश्यकता होती है. इसी कारण कई लोग अपनी मृत्यु से पहले अपनी देह का दान करने की इच्छा जाहिर करते हैं. एमबीबीएस के मेडिकल कॉलेज में तो अमूमन देहदान होता है. लेकिन इसी से जुड़े क्षेत्र में 78 साल में पहली बार देहदान दुआ है. ये देहदान उदयपुर स्थित मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में हुआ है. यहां पर 78 साल में पहली बार देहदान हुआ है.


यहां पहली बार हुआ है देहदान 


खास बात यह है कि राजस्थान में 8 आयुर्वेद महाविद्यालय हैं लेकिन उदयपुर में ही पहली बार देहदान हुआ है. दरअसल कॉलेज के शरीर रचना (एनाटॉमी) विभाग को बीएमएस (75) और एमडी (5) के 80 विद्यार्थियों के लिए हर साल 2 देह की जरूरत होती है जो उदयपुर के रविंद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज से लेनी पड़ती है क्योंकि एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाई के लिए यहां देहदान होता रहता है.


देहदान थी अंतिम इक्छा


राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के निंबाहेड़ा निवासी 83 वर्षीय गोविंद राम कुमावत के निधन पर परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार देहदान किया है. आयुर्वेद विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. के.पी. व्यास ने बताया कि प्रदेश में 8 आयुर्वेद कॉलेज हैं लेकिन इनमें देहदान नहीं किया जाता है. ज्यादातर लोग मेडिकल कॉलेजों को देहदान करते हैं. उदयपुर में आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना 1944 में हुई थी लेकिन ये पहला देहदान है.


उनके बेटे ने क्या कहा?


दिवंगत गोविंद राम के बेटे यशवंत ने बताया कि पिता कुछ वर्षों से बीमार थे और 4 माह से देहदान को जिद की तरह लिए हुए थे. इस पर निंबाहेड़ा में परिचित आयुर्वेद चिकित्सक से जानकारी जुटाकर गत 29 जनवरी को हम आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य से मिले. 3 फरवरी को देहदान पंजीकरण कार्ड जारी हुआ. बुधवार सुबह 11 बजे उनके अंतिम सांस लेने पर कॉलेज को जानकारी दी गई. फिर देह सुपुर्द किया गया. इसके बाद परिजनों ने अंतिम दर्शन किए और विद्यार्थियों ने श्रद्धांजलि दी.


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