Rajasthan Chandipura Virus Case: राजस्थान के उदयपुर के खेरवाड़ा ब्लॉक के दो गांवों में बच्चों में संदिग्ध वायरस चांदीपुरा को लेकर चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है. स्वास्थ्य विभाग ने चांदीपुरा वायरस को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि खेरवाड़ा ब्लॉक के दो गांवों में इस संदिग्ध बीमारी की सूचना मिली थी. जिले के डॉक्टरों को बच्चों में पाए गए इस संदिग्ध वायरस के बारे में गंभीरतापूर्वक सावधानी बरतने और विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं.


निदेशक जनस्वास्थ्य डॉक्टर रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि गुजरात बॉर्डर पर स्थित खेरवाड़ा ब्लॉक के नलफला और अखीवाड़ा गांवों के दो बच्चों का गुजरात के हिम्मतनगर में इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान इनकी जांच में विशेष प्रकार का संक्रमण निकला है. उन्होंने बताया कि प्राथमिक इलाज में देरी के कारण एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि दूसरे बच्चे का इलाज चल रहा है. अब उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है.


पुणे भेजी गई रिपोर्ट
गुजरात चिकित्सा प्रशासन द्वारा संक्रामक रोग ‘चांदीपुरा’ की जांच के लिए सैंपल पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को भिजवाये गए हैं. उन्होंने बताया कि इस रोग के संक्रमण के केस गुजरात राज्य में पाये गए थे और राजस्थान में इस रोग का कोई केस दर्ज नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि दर्ज किए गए दोनों मामलों में बच्चे खेरवाड़ा ब्लॉक के हैं और इस क्षेत्र के निवासी रोजगार के लिए गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में पलायन करते हैं. 


उन्होंने बताया कि 11 जुलाई को बच्चों के संक्रमण की सूचना मिलते ही संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को सावधानी बरतने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए गए. उन्होंने बताया कि गुजरात में उपचाराधीन बच्चों की वास्तविक रिपोर्ट आना बाकी है. निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि चांदीपुरा रोग एक वायरल संक्रमण है जो मच्छर, घुन, रेतीली मक्खी के माध्यम से फैलती है. 


चांदीपुरा वायरस के लक्षण 
इसके इलाज में विलंब होने पर गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. उन्होंने बताया कि चांदीपुरा संक्रमण के मुख्य लक्षण में बुखार आना, उल्टी होने और आकस्मिक दौरे पड़ना शामिल है. ऐसे लक्षण वाले विशेष सतर्कता बरतें और डॉक्टर की देखरेख में तुरंत इलाज कराएं. डॉक्टर माथुर ने बताया कि उदयपुर जिले से मिली रिपोर्ट के अनुसार चांदीपुरा संक्रमण के गंभीर लक्षणों वाला कोई अन्य मरीज उपचारधीन नहीं है.


इसके अलावा प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सर्वे-निगरानी बढ़ाने, सैंपल एसएमएस मेडिकल कॉलेज भिजवाने, कीट-मच्छर रोधी गतिविधियां संचालित करने सहित आवश्यक जनजागरूकता विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं. 




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