Kedarnath Tragedy: केदारनाथ त्रासदी के 9 साल पूरे, उदयपुर में 21 परिवारों के लिए सरकारी वादे अभी तक अधूरे
Kedarnath Tragedy: उदयपुर जिले के 21 परिवारों ने प्राकृतिक त्रासदी में अपनों को खोया. त्रासदी के 9 साल पूरे होने पर सभी परिवारों की एक ही दर्द भरी कहानी है. उदयपुर की एक बेटी ने दुख साझा किया.
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9 Years of Kedarnath Tragedy: 16 जून 2013 का दिन देश कभी नहीं भूल सकता. इस दिन देशभर के कई परिवारों ने अपनों को खोया. उत्तराखंड के केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा ने कई लोगों की जिंदगी लील ली और कई लापता हो गए. जल प्रलय का दर्द लोगों के जहन में अब तक जिंदा है. दर्द पर मरहम की जगह सरकार ने नमक का काम किया है. त्रासदी में मरनेवालों के परिजनों को सरकार ने वादे किए लेकिन 9 साल बाद भी वादे पूरे नहीं हुए.
केदारनाथ त्रासदी के 9 साल पूरे
उदयपुर जिले के 21 परिवारों ने प्राकृतिक त्रासदी में अपनों को खोया. त्रासदी के 9 साल पूरे होने पर सभी परिवारों की एक ही दर्द भरी कहानी है. उदयपुर की एक बेटी ने एबीपी न्यूज से बातचीत में दुख साझा किया. रुचिका शर्मा ने बताया कि माता पिता ग्रुप के साथ केदारनाथ यात्रा पर 8 जून 2013 को निकले थे. 16 जून को अंतिम दर्शन थे और 15 जून को सभी महिलाओं के साथ मां ने फोटो भेजा था. इसके बाद त्रासदी की खबर आ गई और फिर बात नहीं हुई.
सरकारी वादे अभी तक हैं अधूरे
मां और पिता के साथ उदयपुर के कई लोगों की मौत हो गई और और कई का पता नहीं चल सका. परिजनों की मौत का दर्द अभी कम नहीं हुआ था कि 29 जुलाई 2013 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मृतक के परिवार को राहत पैकेज की घोषणा की. राहत पैकेज में राशि के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी का वादा किया गया था. इसके बाद दिसंबर 2013 में वसुंधरा सरकार आई. वसुंधरा सरकार ने अशोक गहलोत के फैसले को पलटते हुए राहत पैकेज कैंसल कर दिया.
वर्ष 2021 में गहलोत ने फिर से मुआवजे और नौकरी देने के लिए अधिकारियों को फाइल बढ़ाने का निर्देश दिया. सभी लोगों के कलेक्टर के पास दस्तावेज जमा करा लिए गए लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिल रहा है. पत्रावली अभी तक लंबित चल रही है. जमा पत्रावली में 8 लोग नौकरी के लिए पात्र पाए गए थे. केदारनाथ त्रासदी में मरने वालों की संख्या का सटीक आंकड़ा नहीं है. किसी रिपोर्ट में 5 हजार तो कोई रिपोर्ट 10 हजार से भी ज्यादा मौत बताती है. पानी के तेज बहाव में कई लोग बह गए थे. कुछ अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ों पर चढ़े लेकिन जिंदा नहीं बच सके. इन्हीं में उदयपुर के वह लोग हैं जो आज तक घर नहीं लौटे.
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