Akshaya Tritiya 2023: राजस्थान के जनजाति क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों की दो सबसे बड़ी परेशानियां हैं,पहली है मानव तस्करी और दूसरी है बाल विवाह.बाल विवाह सबसे ज्यादा उदयपुर संभाग और भीलवाड़ा क्षेत्र में होते हैं.लेकिन इनकी शिकायत नहीं हो पाती है.ऐसे में शादियों का सीजन आने वाला है, इससे पहले प्रशासन ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. इन नंबरों की कड़ी मॉनिटरिंग की जाएगी.उदयपुर की बात करें तो जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने जिले में कहीं भी बाल विवाह न हो इसके लिए ग्राम और तहसीलवार कमेटियां गठित की है. उन्होंने जिला और उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों को प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.
कब-कब होते हैं बाल विवाह
उन्होंने बताया कि इस साल 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया (आखातीज) और पांच मई को पीपल पूर्णिमा नियत है.इस अवसर पर अबूझ सावा होने के उपलक्ष्य में बाल विवाहों की प्रबल सम्भावनाएं रहती हैं.इस संबंध में आदेश जारी कर बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम स्तरीय समिति, तहसील स्तरीय समिति और सतर्कता दल का गठन कर दायित्व सौंपे गए हैं.
इन तीन कमेटियों को दी गई है जिम्मेदारी
आदेशानुसार ग्राम स्तरीय समिति में ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी हल्का, बीट कॉनिस्टेबल, आशा सहयोगिनी व आंगनवाडी कार्यकर्ता शामिल हैं. तहसील स्तरीय समिति में तहसीलदार, संबंधित पंचायत समिति के विकास अधिकारी व थानाधिकारी को रखा गया है.वहीं सर्तकता दल में उपखण्ड अधिकारी, संबंधित वृत्ताधिकारी और सीडीपीओ प्रभावी मॉनिटरिंग के साथ आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.
कलेक्टर ने बताया कि समस्त समितियां बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कार्मिक यथा वृत्ताधिकारी, थानाधिकारी, पटवारी, ग्राम पंचायत सचिव, सीडीपीओ, सुपरवाईजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, नगर परिषद् व नगर पालिका के कार्मिक, जिला परिषद् व पंचायत समिति सदस्य, सरपंच और वार्ड पंचों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार एवं आवश्यक कार्य सुनिश्चित करेंगे.
प्रशासन को इन लोगों से भी है उम्मीद
कलेक्टर ने बताया कि सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव-मोहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, संबंधित अधिकारी-कर्मचारी समन्वित रूप से समझाईश करेंगे.वहीं जहां आवश्यक हो कानून द्वारा बाल विवाह रोकने का प्रयास करेंगे.उन्होंने बताया कि विवाह हेतु छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर-वधू की आयु का प्रमाण पत्र प्रिन्टिंग प्रेस वालों के पास रहे और निमंत्रण पत्र पर वर-वधू की जन्म तिथि अंकित करवाई जाए.इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी हैं, यथा हलवाई, बैण्ड, पंडित, बाराती, पांडाल और टेन्ट वाले, ट्रांसपोर्टर से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लिया जाए.उन्हें कानून की जानकारी दी जाए.
यहां दे सकते हैं बाल विवाह की सूचना
बाल विवाह की सूचना मिलने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी कलेक्ट्रेट में स्थापित नियंत्रण कक्ष में प्रतिदिन की सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उदयपुर को 0294-2414610 और 0294-2412210 ओसीआर-0294-2415133, आईसीडीएस-0294-2425366, आईसीपीएस- 0294-2414140, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष- 7891107090, महिला अधिकारिता विभाग-0294-2425377 और जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के नियंत्रण कक्ष 0294-2414620 पर अवगत कराएंगे.
ये भी पढ़ें