Udaipur News: श्रावण की शुरुआत हो चुकी है. इसके बाद बारिश की झड़ी लग चुकी है. सिर्फ राजस्थान ही नहीं, दिल्ली से लेकर कई राज्य ते बतर है, वहीं कहीं पर हालत बिगड़े हुए हैं. यानी कहीं पर इस बारिश से खुशियां तो कही गम है. ऐसे में उदयपुर को श्रावण के पहले सोमवार की शाम को एक बड़ी खुशी मिली है. उदयपुर की धड़कन या कहें उदयपुर की शाम उफान पर है. ऐसा जुलाई की शुरुआत में ही उदयपुर को यह खुशी मिलना अपने आप में एक रिकॉर्ड है. आइए जानते हैं, झीलों की नगरी उदयपुर को क्या खुशी मिली. 


जिसे पर्यटक देखने दिल्ली-महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से आते हैं, उसके खोले गए गेट
उदयपुर की धड़कन और शान की बात कर रहे हैं वह है सबसे खूबसूरत झील फतहसागर. उदयपुर में घूमने की सबसे खूबसूरत जगह और पर्यटकों को पहली पसंद. इस झील में भी खूबसूरती को चार चांद लगाने वाला इसका ओवर फ्लो. सोमवार की शाम को उदयपुर संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट और जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने इस ओवर फ्लो को विधि विधान से पूजा करते हुए खोले हैं. ओवर फ्लो को जब खोला जा रहा था उसे पहले हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए. यह सभी इसी ओवर फ्लो को देखने आए थे. शहरवासी ही नहीं, इस झील और इसके ओवर फ्लो को देखने दिल्ली - महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं.
 
संभागीय आयुक्त व कलक्टर ने जिलेवासियों को कहा कि सावन के मौके पर उदयपुरवासियों के लिए यह बड़ी खुशी का पल है. अपनी झीलों के लिए दुनियाभर में मशहूर पर्यटन नगरी में फतहसागर लाइफलाइन है और इसके भरने से उदयपुरवासियों की खुशियां परवान चढ़ती है. जल संसाधन विभाग अधिशासी अभियंता अनिल थालोर ने बताया कि रात को 8 बजे 4 में से 2 गेट 3-3 इंच खोले गए जिससे 65.94 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है. 


उदयपुर के लिए क्यों है इतनी खास यह झील
उदयपुर शहर के लिए फतहसागर झील कई मायनों में बहुत खास है, इसलिए इसे उदयपुर की लाइफ लाइन भी कहते है. सबसे महत्वपूर्ण तो यह की हजारों लोगों को यह पेयजल देती है. साथ ही इस झील के आसपास किसी प्रकार का कोई बड़ा भवन, होटल या अन्य स्ट्रक्चर नहीं है, जिससे झील और खुली पहाड़िया खूबसूरती बढ़ाते है. यहां झील में बोटिंग होती है जिसका लुफ्त उठाने देश- विदेश से लोग आते है. साथ ही यहां फूड जॉन ही, झील किनार बैठकर युवा चाय की चुस्कियां लेते हैं. लोग कहते हैं कि अगर झील ओवर फ्लो हुई, यानी उदयपुर में अच्छी बारिश हो गई. 


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