Udaipur Butterfly Park: राजस्थान के पहले बटरफ्लाई पार्क की उदयपुर में शुरुआत हो चुकी है. यहां आपको एक ही जगह सैकड़ों तितलियों का संसार दिखाई देगा. लेकिन इसमें एक खासियत भी है. यहां एक ऐसे तितली है तो पूरे भारत में कहीं नहीं पाई जाती है.
इसकी यह विशेषता समूचे विश्वभर के तितली प्रेमियों को यहां आने पर मजबूर करेगी.उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा ने बताया कि शहर के पास अंबेरी में 5 हैक्टेयर में 50 लाख रुपये की लागत से बटरफ्लाई पार्क को बनाया गया है. यह बायोडायवर्सिटी पार्क में स्थित है.
यहां एक ऐसे तितली है तो पूरे भारत में कहीं नहीं पाई जाती है.
इसकी यह विशेषता समूचे विश्वभर के तितली प्रेमियों को यहां आने पर मजबूर करेगी. उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा ने बताया कि शहर के पास अंबेरी में 5 हैक्टेयर में 50 लाख रुपये की लागत से बटरफ्लाई पार्क को बनाया गया है. यह बायोडायवर्सिटी पार्क में स्थित है.
यह है तितली जो कहीं नहीं
डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा निवासी तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने बताया कि इस बटरफ्लाई पार्क की खास विशेषता यहां पर पाई जाने वाली एक विशेष प्रजाति की तितली है, जिसका नाम जेब्रा स्किपर है. इस तितली का वैज्ञानिक नाम एर्नस्टा जेब्रा है. उन्होंने बताया कि इस तितली का जीवन चक्र अर्थात अंडा, लार्वा, प्यूपा और फूलो का रस पीने के पौधे (नेक्टर प्लांट) विश्व में पहली बार उनके शोध पर ही रिसर्च पेपर (बाय नॉट दिसंबर 2023) के माध्यम से प्रकाशित किया गया.
यह तितली अपने अंडे मेलहानिया फुटेपोरेंसिस नामक पौधे पर देती है. यह वनस्पति संकटग्रस्त पौधों की सूची में सम्मिलित है और बटरफ्लाई पार्क में इस पौधे की उपस्थिति देखी गई है.
पंवार ने ही खोजी है यह तितली
भारत में इस तितली की खोज वर्ष 2020 में मुकेश पंवार ने सागवाड़ा जिला डूंगरपुर से की थी. तब इस तितली का जीनस स्पियलिया था, अतः स्पियलिया जेब्रा के नाम से खोज हुई थी. उन्होंने बताया कि यह तितली इस पार्क में अगस्त से दिसंबर तक देखी गई है. अतः यह पार्क भारत का पहला बटरफ्लाई पार्क होगा जहां इस तितली की उपस्थिति देखी जा सकेगी.