Udiapur News: गर्मी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं. ऐसे में पिछले दिनों हुई बारिश से रही नमी भी खत्म हो गई है, जिससे जंगलों में आग की घटनाएं शुरू हो गई हैं. रोजाना किसी ना किसी अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाड़ी पर आग लग रही है. अब सवाल यह उठा रहा है कि यह आग कैसे लग रही है? 


वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जंगल में दो तरह स आग लगती है, एक तो सूखे पत्तों के घर्षण से और दूसरी ग्रामीण लोगों द्वारा लगाई जाने पर. अब इस आग से भी दो तरह की परेशानियां सामने आती हैं. पहली वन्यजीवों के लिए और दूसरी इंसानों के लिए. इस समस्या के निराकरण के लिए वन विभाग ने सख्ती दिखाई है. अब कोई भी आग लगाने वाले का नाम बताएंगा तो उसे नगद राशि दी जाएगी. आग पढ़िए ग्रामीण क्यों लगाते हैं आग और वन विभाग की क्या सख्ती शुरू की.


ग्रामीण क्यों लगाते हैं आग?


उदयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में मगरा स्नान की प्रथा है. जब किसी की मन्नत पूरी हो जाती है तो मगर स्नान करवाया जाता है. यानी पहाड़ी पर आग लगाई जाती है. पहाड़ी पर आग कुछ ही जगह लगाई जाती है, लेकिन वह हवा से धीरे-धीरे फैलते हुए पूरी पहाड़ी और आस पास की पहाड़ी को चपेट में ले लेती है. ऐसे में कुछ वन्यजीव जल जाते हैं और पैंथर शहर की आबादियों में घुसना शुरू हो जाते हैं. इसलिए शहरी सीमा के कस्बों के आस पास रोजाना पैंथर का मूवमेंट दिखाई दे रहा है. 


वन विभाग ने क्या बढ़ाई सख्ती


वन विभाग का मानना है कि वन क्षेत्र ने जो आग लगती है उसमें ज्यादातर लोगों द्वारा लगाई जाने पर लगती है. ऐसे में उनपर रोकथाम के लिए जागरूकता तो करेंगे ही. इसके अलावा इनाम राशि भी घोषित की गई है. कोई भी व्यक्ति जंगल में आग किसने लगाई यह बताएगा तो उसे 11 हजार रुपए दिए जाएंगे. यहीं नहीं नाम बताने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा. इसके बाद आग लगाने वाले व्यक्ति के खिलाफ वन्यजीव एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा जिसमें 7 साल तक कि सजा का प्रावधान है. एसीएफ नरपत सिंह का कहना है कि आग की रोकथाम जरूरी है ताकि वन्यजीव भी सुरक्षित रहे और इंसान भी आराम से रहे. इसलिए इनाम राशि दी जाएगी. लोगों से अपील भी की जा रही है कि जंगल मे आग न लगाए, इससे खतरा खुद को है.


ये भी पढ़ें:- सर्वे रिपोर्ट से खुश नहीं कांग्रेस नेतृत्व, चुनाव में 60 मंत्री और विधायकों का कट सकता है पत्ता