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Rajasthan News: गणतंत्र दिवस के पहले उदयपुर में 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी का निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
Udaipur News: उदयपुर में 24 जनवरी को 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया. स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल औदिच्य का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
Rajasthan: कल पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है और उससे दो दिन पहले 24 जनवरी को उदयपुर में स्वतंत्र सेनानी मनोहर लाल का निधन हो गया. 99 साल के स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल औदिच्य का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल, पुलिस अधीक्षक डॉ भुवन भूषण यादव सहित अन्य ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. मनोहरलाल औदिच्य आजादी की लड़ाई में नेतृत्वकर्ता थे जिससे उन्हें जेल में बंद किया जिसका ऐसा आंदोलन हुआ कि सरकार को झुकना पड़ा.
जानिए कौन थे स्वतंत्रता सैनानी मनोहर लाल औदिच्य
स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल औदिच्य के पिता गणपत लाल और मात जशोदा देवी थे. मनोहर लाल के तीन पुत्र हैं. प्रारंभिक शिक्षा उदयपुर में प्राप्त करने के बाद मनोहर लाल औदिच्य ने वर्ष 1946 में आगरा विश्वविद्यालय से कला स्नातक (बी.ए.) और 1948 में राजपूताना विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की. औदिच्य अपने छात्र जीवन से ही भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ गए थे. आजादी के बाद उन्होंने राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग में अपनी सेवाएं दी. 1980 में विभाग के कार्यालय अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के पश्चात् भी विभाग एवं समाज को हर तरह से सेवा देते रहे.
भारत छोड़ो आंदोलन में नेतृत्व किया, जेल में बंद किया तो ऐसा हुआ माहौल
वर्ष 1942 में अंग्रेजों के विरुद्ध भारत छोड़ो आंदोलन में मनोहर लाल ने विद्यार्थियों का नेतृत्व किया. उसी दौरान डिफेन्स ऑफ इंडिया रूल धारा 26 के अन्तर्गत 22 अगस्त 1942 को अनिश्चित काल के लिए कारागर में बन्दी बना लिया. बंदी बनाने की इस घटना के बाद पूरे मेवाड़ में आंदोलन उफान पर आ गया. विद्यार्थियों को बंदी बनाए जाने से हर तरफ भरी आक्रोश भड़कने लगा और लोग प्रदर्शन होने लगे. बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार को 2 सितम्बर 1942 को बिना शर्त के उन्हें रिहा करना पड़ा. उसके उपरान्त भी औदिच्य स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रहे. औदिच्य को राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती समारोह व अनेक अन्य अवसरों पर स्मृति चिह्न, ताम्रपत्र, शॉल आदि भेंट कर भी सम्मानित किया गया है.
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