Hariyali Amavasya Mela In Udaipur: झीलों की नगरी उदयपुर ( Udaipur) में सावन की झड़ी लगी हुई है. इसके चलते यहां हर तरफ हरियाली छाई हुई है. यहां टूरिस्ट भी लगातार आ रहे हैं. वहीं अब यहां हरियाली अमावस्या का 125 वर्ष पुराना मेला ( (Hariyali Amavasya Mela) 17 जुलाई से लगने वाला है. इसकी खास बात ये है कि इस मेले में एक दिन सिर्फ महिलाओं की एंट्री रहती है. इसमें हजारों की संख्या में दूर दराज से महिलाएं आती हैं. बड़ी बात यह है कि टूरिस्ट भी इस मेले  का इंतजार करते हैं. 


ये विशाल मेला शहर के मुख्य सहेली मार्ग पर 3 किलोमीटर एरिया में लगता है. मेला 17 को शुरू होगा जो 18 को खत्म हो जाएगा. मेला शहर की यूआईटी पुलिया से लेकर फतहापुरा चौराहे पर लगता है, जो सुखाडिया सर्कल तक फैला रहता है. कलेक्टर की तरफ से इस दिन आधे दिन का अवकाश घोषित किया जाता है. 17 जुलाई को पहले दिन सभी के लिए मेले में एंट्री रहेगी. वहीं 18 जुलाई को मेले में सिर्फ महिलाओं को एंट्री रहेगी. इस मेले में 100 से ज्यादा दुकानें, झूले सहित अन्य चीजे होती हैं. 


क्या है मेले का इतिहास


इस मेले में बहुत भीड़ होती है. इसलिए ये मेला पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच लगता है. इस मेले के पीछे महाराणाओं का इतिहास भी छुपा हुआ है. लोगों की मान्यता है कि साल 1898 में हरियाली अमावस्या के दिन महाराणा फतह सिंह महारानी चावड़ी के साथ फतहसागर झील पहुंचे थे. यहां पहुंचने के बाद वह छलकते फतहसागर को देखकर बहुत खुश हुए. इसके बाद उन्होंने नगर में मेले के रूप में यहां पहली बार जश्न मनाया. तब चावड़ी रानी ने महाराणा से सिर्फ महिलाओं को मेले में जाने देने की बात कही थी. 


इस पर महाराणा ने मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए रखने की घोषणा करवाई थी. तब से मेले के पहले दिन सभी लोग इसमें जाते हैं. वहीं दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं के लिए ये मेला लगता है. यही कारण है कि शहरवासियों को भी सबसे ज्यादा खुशी फतहसागर के छलकने से होती है.


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