Udaipur Holi Celebration: देशभर में होली का त्योहार उत्सव, उमंग और जोश से रंग गुलाल के साथ खेलकर मनाया जाता है. होली के दिन रंगों से एक दूसरे को रंगते-नाचते-गाते लोग देखने को मिलते हैं. कई जगह होली खेलने की अलग ही परंपरा है. कहीं फूलों की होली, गुलाल की होली और रंगों की होली के साथ लठमार होली भी खेली जाती है. लेकिन, आज आपको बताते हैं तोप-तलवार और बंदूक-बारूद से होली खेलने की परंपरा के बारे में. 


वैसे तो राजस्थान के उदयपुर को इतिहास और खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. उदयपुर जिले के एक छोटे से गांव में बारूद से होली खेलने की परंपरा है. यह परंपरा लगभग 450 से 500 साल पुरानी है. इस गांव के लोग इस परंपरा के अनुसार बारूद की होली खेलते हैं.



उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर मेनार गांव में होली के दूसरे दिन जमराबीज के दौरान भव्य आतिशबाजी और हवाई फायरिंग देखने को मिलती है. इस बारूदी होली के दौरान बंदूक से गोलियां चलाई जाती हैं. हर ओर गोलियों की गूंज सुनाई देती है. ऐसा लगता है मानो होली नहीं दिवाली मनाई जा रही हो. बारूदी होली खेलने की यह परंपरा केवल परंपरा नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक महत्व को अपने अंदर समेटे हुए है.


यह है बारूदी होली का इतिहास
इस मेनार गांव के लोगों ने मुगलों को शिकस्त देने और मुगलों को लोहे के चने चबाने को मजबूर किया था. बारूदी होली खेलकर विजय पर्व मनाया था. लोक कथाओं में बताया गया है कि महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने अपने वक्त में मेवाड़ पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए इसी मेनार गांव के मेनारिया ब्राह्मणों के साथ मिलकर अपने दुश्मनों से लड़ाई लड़ी थी. उस समय यह युद्ध रात में लड़ा गया था. मेनारिया ब्राह्मण ने दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था. 


उसी के बाद से मेनारिया गांव के लोग अपने बुजुर्गों की वीरता की याद में रात में बारूद से होली मनाते आ रहे हैं. यह परंपरा और इतिहास अपने अंदर समेटे हुए है. आज तक यह सिलसिला जारी है. आज भी लोग अपने गांव में बारूद के साथ होली खेलते हैं. अपने पुरखों की शहादत और कुर्बानी की शौर्य गाथाओं का बखान करते नहीं थकते.


आज तक नहीं हुई कोई दुर्घटना
उदयपुर के मेनार गांव में धुलंडी के दूसरे दिन बारूद के साथ होली खेली जाती है. इस होली में गांव के लोग आमने-सामने खड़े होकर बंदूक से हवाई फायर करते हैं. यह होली ऐसे लगती है मानो जैसे युद्ध लड़ा जा रहा हो. इस दिन लोग खुलेआम आसमान में तोप छोड़ते हैं और तलवारे लहराते हैं. गांव के लोगों के साथ आसपास के क्षेत्र के लोग भी होली मनाने के लिए यहां आते हैं. यह होली रात में खेली जाती है. आज तक बारूदी होली खेलते वक्त कोई भी दुर्घटना नहीं हुई है.


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