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Rajasthan News: मात्र 14 साल की उम्र में पहुंचे अयोध्या, जानिए उदयपुर के कार सेवक भारत भूषण की पूरी कहानी
Udaipur News: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है. यहां जानें कार सेवक भारत भूषण के बारे में जो केवल 14 साल की उम्र में कार सेवक के रूप में अयोध्या पहुंचे थे.
Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है. इस दिन दिवाली मनाई जाएगी. 6 दिसंबर 1992 को जब पूरे देश से हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे. इसमें उदयपुर से एक 14 साल के कार सेवक भारत भूषण भी अयोध्या पहुंचे थे. हालांकि उम्र कम होने की वजह से इन्हें वहां पहुंचने की अनुमति नहीं थी.
भारत भूषण ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए बताया कि जब वे छोटे थे तब दीवारों पर लिखा करते थे 'राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे'. उस समय हर जगह से लोग जा रहे थे. मैं भी कार सेवा के जत्थे को छोड़ने के लिए जाता था. उसी समय मन में था कि मैं भी उनके साथ जाऊं. लेकिन उस समय 18 से कम वर्ष के लोगों को जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन संघ से जुड़े वरिष्ठों से कई बार निवेदन किया. इसके बाद अनुमति तो मिल गई.
बीच रास्ते में पहुंचने पर माता पिता को पता चला
उन्होंने बताया कि संघ से अनुमति मिलने के बाद मेरे मन में यह था कि घर पर बताऊंगा तो माता-पिता जाने नहीं देंगे. इसलिए मैं स्कूल पहुंचा और वहां से छूटने के बाद साइकिल को अन्यत्र स्थान पर रखी और कार सेवा के जत्थे में शामिल हो गया. फिर बीच रास्ते में पहुंचा तब संघ से जुड़े वरिष्ठ मेरे घर पहुंचे उन्होंने बताया कि सुरक्षित हाथों में बेटे को भेजा है लेकिन मां बड़ी चिंतित हुई थी.
ट्रेन को जगह-जगह रूकवाया
उन्होंने बताया कि जय श्री राम के नारे और भजन गाते हुए ट्रेन में अयोध्या के सफर के लिए 29 नवंबर को उदयपुर से निकले. रास्ते में कई जगह ट्रेन रुकी जबकि वहां पर ट्रेन का स्टॉप नहीं था. लोग आ रहे थे, कोई पैर दबा रहा था कोई हाथ दबा रहा था, कोई कुछ खाने की वस्तुएं लेकर आ रहा था. इतना सत्कार हुआ क्योंकि उस समय हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के मन में अयोध्या ही थी.
'अयोध्या परिवार हो चुका था, लोगों ने घर के दरवाजे खोल दिए थे'
उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर को हम अयोध्या पहुंचे वहां स्थिति देखकर हैरान हो गए. हजारों की संख्या में कार सेवक पहुंचे हुए थे. उनके रुकने, खाने पीने की व्यवस्था के लिए अयोध्या नगरी के लोगों ने अपने घर के दरवाजे खोल दिए थे. वहां का परिवार खुद एक रूम में रहने लगा बाकी के रूम कार सेवकों को दे दिए. 3 दिसंबर के बाद अयोध्या नगरी घूमे. जगह-जगह चर्चा थी कि आगे क्या करना है. यह सुनने को मिल रहा था की सरयू से मिट्टी लेकर आना है. हम इंतजार में थे कि क्या करना है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion