Udaipur News: बारिश और सर्दी के समय अक्सर यह देखने को मिलता है कि इंसुलेटर में अचानक आग लगने से बिजली प्रवाह प्रभावित होता है. इस समस्या को दूर करने के लिए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल विभाग के छात्रों ने प्रोफेसर के साथ मिलकर नैनो कोटिंग विकसित किया है, जिससे इंसुलेटर फैल की जो परेशानी आती थी वह दूर हो जाएगी. इसका पैटेंट करने के लिए भी विश्व विद्यालय की तरफ से भेज दिया गया है. 


इस कुछ इस तरह किया गया है विकसित


इलेक्ट्रिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर विक्रमादित्य दवे ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर, इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम का एक अभिन्न अंग है जो न केवल इंसुलेशन बल्कि मैकेनिकल शक्ति भी प्रोवाइड करता है. इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर बाहरी वातावरण में लगे रहते हैं जिससे उन पर धूल कण, कोयले के कण, सीमेंट के कण आदि पदार्थ इकट्ठा होते रहते हैं. यह कण वैसे आम दिनों में कोई खतरा पैदा नहीं करते मगर हल्की बरसात के समय, सर्दी के मौसम में फॉग आने पर इन कणों में पानी मिल जाता है. इससे इन पर एक चलित पथ बन जाता है जो इंसुलेटर को तोड़ने में सहायक होती है. इस प्रकार इंसुलेटर के फैल होने से न केवल उपयोगकर्ता को नुकसान होता है बल्कि काफी नुकसान विद्युत उत्पादन कंपनियों को होता है.


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इंसुलेटर की 20 साल उम्र होगी


उन्होंने आगे बताया कि वैज्ञानिक के आधार पर इन इंसुलेटर पर 800 नैनोमीटर की हाइड्रो फोबिक कोटिंग की है इसके कारण अब कंडक्शन परत बनने की संभावना खत्म हो गई है. जिससे कि इंसुलेटर की लाइफ 5 से 20 वर्ष हो गई है. इसके इंडियन पेटेंट के लिए अप्लाई कर दिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि इस कोटिंग को नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर्गत आने वाली स्पटरिंग विधि से कुछ तत्वों को मिलाकर विकसित किया गया है. यह कोटिंग वैक्यूम के अंदर इंसुलेटर पर विकसित की गई है जिससे कि उस पर अन्य बाहरी पदार्थों का प्रभाव न्यूनतम रहे.


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