Udaipur News: राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों के ठीक से भवन नहीं हैं और शिक्षकों की तैनाती भी नहीं है. सबसे खराब स्थिति उदयपुर संभाग के सुदूर क्षेत्रों स्थित स्कूलों की है. लेकिन कहते हैं ना कि कोई व्यक्ति किसी का मोहताज नहीं होता. ऐसा ही एक स्कूल है जहां के शिक्षक किसी सरकारी बजट के मोहताज नहीं है. यहां छात्राएं बेंड-बाजे के साथ घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाती हैं और घुड़सवारी सहित अन्य खेलों की सुविधाएं हैं. यह स्कूल है प्रतापगढ़ जिले का अमलवाद स्कूल.
प्रिंसिपल खुद देती हैं पैसे
इस स्कूल की प्रिंसिपल नीलम कटलाना खुद अपने वेतन में से राशि दे देती हैं और अपने स्तर पर ही सुविधाएं जुटाकर स्कूल को सम्पन्न कर रही हैं. खास बात यह है कि इस मुहिम में इनका स्टाफ भी साथ दे रहा है.
नए आने वाले बच्चों का शाही अंदाज में स्वागत
राज्य सरकाए ने सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की कुछ वर्षों पहले शुरुआत की थी. इसमें बेनर हाथ मे लेकर रैली निकाल लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और स्कूलों में भर्ती कराना. इसका असर भी हुआ और नामांकन भी बढ़ा. हर स्कूल इस उत्सव को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं.
जिस अमलवाद स्कूल की हम बात कर रहे हैं, वहां नए बच्चों को शाही अंदाज में बेंड-बाजे के साथ घोड़ी ले बैठाकर स्कूल लाया जाता है. यहीं नहीं यहां बच्चों का मनोरंजन करने के लिए विद्यालय में हर साल धूमधाम से वार्षिकोत्सव का आयोजन भी होता है. इसके लिए बजट नहीं मिला तो प्रिंसिपल नीलम ने अपने स्तर पर फंड जुटाया. बच्चियों के लिए स्कूल में झूले-चकरी लगवाने के लिए ज्ञान संकल्प पोर्टल के जरिए स्वयं 10 हजार रुपए दिए.
बच्चे करते हैं घुड़सवारी और स्केटिंग
यहां की प्रिंसिपल नीलम कटलाना शास्त्रीय नृत्य की शिक्षक प्रतियोगिता में जिला स्तर पर प्रथम रहीं. यह खुद बच्चियों को शास्त्रीय नृत्य सिखाती हैं. यहीं नहीं यहां के बच्चे स्केटिंग और घुड़सवारी भी करती है. स्केटिंग तीन साल पहले, घुड़सवारी डेढ़ साल पहले शुरू की. भरत नाट्यम, कथक की कक्षाएं दो साल पहले शुरू की. प्रार्थना सभा में योग, प्राणायाम व एरोबिक्स जैसी गतिविधियां की जाती हैं.
प्रार्थना सभा में ही सभी प्रकार के योग और प्राणायाम
विद्यालय की प्रार्थना सभा अदभुत होती है जिसमें बालिकाएं और सभी शिक्षक योग, प्राणायाम, एरोबिक्स जैसी गतिविधियां करते हैं. बालिकाओं को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिए कन्या पूजन जैसे नवाचार विद्यालय में प्रति वर्ष आयोजित होते हैं. कोरोना काल में विद्यालय की सफाई से लेकर मांडने बनाने तक का कार्य किया गया. कुछ साल पहले तक उजाड़ दिखने वाला यह विद्यालय आज एकदम हरा भरा है.
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