Udaipur News: जन्म से मासूम के आंतिरक अंग स्त्री और बाहरी पुरूष के थे, डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर दिया बच्ची का रूप, जानिए पूरा मामला
शहर के भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक हॉस्पिटल ने 8 साल के बच्चे की लिंग निर्धारण की सफल सर्जरी की गई है. दरअसल, मासूम के आंतरिक अंग स्त्री के और बाहरी पुरुष के थे.
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Udaipur News: शहर के भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक हॉस्पिटल ने 8 साल के बच्चे की लिंग निर्धारण की सफल सर्जरी की गई है. दरअसल बच्चे के पैदा होने के बाद जांच में पता चला था कि उसके आंतरिक अंग स्त्री और बाहरी पुरुष के हैं. 8 साल तक मासूम परेशानियों से गुजरा और फिर माता पिता की सहमति के बाद गुरुवार को 5 घन्टे में लिंग निर्धारण का सफल ऑपेरशन किया. डॉक्टर का दावा है कि भविष्य में बच्ची को कोई परेशानी नहीं आएगी और बच्चे भी पैदा हो पाएंगे. सर्जरी के बाद अब यह बच्ची सामाजिक स्वीकार्यता के साथ अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर सकेगी. दक्षिण राजस्थान में इस तरह की सर्जरी मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बताई जा रही है.
पेसिफिक मैडिकल कॉलेज में किया गया ऑपरेशन
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु रोग सर्जन डॉ. प्रवीण झंवर के नेतृत्व में एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. प्रकाश औदिच्य, डॉ. शिल्पा, डॉ.कृष्ण गोपाल, अनिल भट्ट और मनीष ने सर्जरी की है. शिशु सर्जन डॉ. प्रवीण ने बताया कि 8 साल के मासूम को कंजेनाइटल एड्रीनली हाईपरलेसिया के कारण पैदा होते ही गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती किया गया. इस दौरान जांच में पता चला कि बालक के आंतरिक अंग स्त्री के हैं, जबकि बाहरी संरचना लड़के की तरह है. अनियमित इलाज के कारण इस बालक के बालों का स्टाइल और पहनावा भी लड़के की तरह होने लगा. ऐसे में परिजनों और इस मासूम को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था. बच्चे की स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों की टीम ने सर्जरी का विकल्प परिजनों के सामने रखा. जननांग सर्जरी के लिए सहमति देना उनके लिए एक मुश्किल निर्णय था. डॉक्टर टीम ने बच्चे के सुखद और सामान्य भविष्य के लिए सर्जरी की आवश्यकता और महत्व बताने पर परिजनों ने जननांग सर्जरी के लिए मंजूरी दी. चिकित्सकों ने लगभग पांच घण्टे तक सर्जरी कर मासूम अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
1500 बच्चों में एक को होती है ऐसी समस्या
डॉ. झंवर ने बताया कि 15 हजार बच्चों में किसी एक में इस तरह की बीमारी पाई जाती हैं. इस बीमारी में समय से मेडिकेशन लेने पर ऐसी विषम परिस्थितियों को पैदा होने से भी रोका जा सकता है. डॉ. झंवर बताते हैं कि जन्मजात कंजेनाइटल एड्रीनली हाईपरलेसिया बीमारी गर्भावस्था के दौरान कुछ आवश्यक एंजाइमों की कमी के कारण जन्म लेने वाले नवजात को होती है. इन हॉर्मोन के असंतुलन से गंभीर बीमारी, असामान्य जननांग, प्रारंभिक यौवन, विकास संबंधी और अन्य समस्याएं पैदा कर देती है.
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