Udaipur News: सरकारी स्कूलों (Government Schools) के बच्चों में सवाल पूछने-बोलने के लिए हो रही झिझक को दूर करने के लिए उदयपुर संभाग के डूंगरपुर जिले में 14 फरवरी से स्कूलों में विशेष अभियान की शुरुआत हो रही है. अभियान पढ़ेगा डूंगरपुर- बोलेगा डूंगरपुर कलेक्टर (DM) शुभम चौधरी की पहल से शुरू हो रहा है जिसमें बच्चों के कॉन्फिडेंस (Confidence) लेवल को बढ़ाया जाएगा. इसके लिए 9 पॉइंट की कार्ययोजना भी बना ली गई है.


झिझक दूर कर बढ़ाया जाएगा कॉन्फिडेंस
जिला कलेक्टर शुभम चौधरी ने बताया कि जिले में नियुक्ति के बाद स्कूलों का निरीक्षण किया. इस दौरान मैंने महसूस किया कि जब बच्चों को कोई सवाल पूछा जाता है तो वह उसका जवाब देने में संकोच करते हैं. अधिकतर बच्चों को जवाब पता होता है, लेकिन वह झिझक और संकोच के कारण जवाब दे नहीं पाते हैं. मुझे लगा कि इस झिझक और संकोच को दूर करना बहुत जरूरी है.


वर्तमान समय में बच्चों में अभिव्यक्ति कौशल विकसित होना बहुत जरूरी है। वहीं इससे पहले बीकानेर में परिवीक्षा काल में भी देखा कि बच्चे सवाल नहीं कर रहे थे. जबकि सवाल करने का पार्ट बहुत महत्वपूर्ण है. वह सवाल तभी करेगा जब आत्मविश्वास मजबूत होगा. इसलिए अभियान को नवाचार व प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है। इस अभियान की 14 फरवरी से शुरुआत होगी.


यह है अभियान की कार्य योजना



  • प्रारंभिक चरण में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चों को एक लक्ष्य समूह के रूप में निर्धारित किया है.

  • स्कूल में कक्षा 6 से 8 के बालक-बालिकाओं को पुस्तकालय, वाचनालय से उनकी रूचि अनुसार पुस्तकें स्वीकृत की जाएगी.

  • हर छात्र-छात्रा को दो सप्ताह में कम से कम एक बार कक्षा कक्ष में ही अभिव्यक्ति का अवसर दिया जाएगा.

  • स्कूल में पढ़ी गई कविताओं, कहानियों आदि का सार संक्षेप या कहानी रूप में प्रस्तुत करने का अवसर यानि पुस्तक पढ़ों-अभिव्यक्त करो.

  • स्कूल स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों का फोटो डिस्पले बोर्ड पर रोल मॉडल के रूप में लगाया जाएगा.

  • स्कूल स्तर पर पुरस्कृत छात्र-छात्राओं को ब्लॉक स्तर व ब्लॉक स्तर से चयनित बच्चों को जिला स्तर पर अभिव्यक्ति का अवसर.

  • हर स्कूल में फॉर्मेट संधारित कर छात्र-छात्रा का रिकॉर्ड रखा जाएगा.

  • प्रतिमाह जिला निष्पादन समिति की बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी इसका प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे ताकि मॉनिटरिंग हो सकें.

  • बच्चों के आयु वर्ग के अनुसार पुस्तकालय के में पुस्तकों को बालक विकास फंड, स्कूल विकास फंड, भामाशाह एवं अन्य स्रोत से खरीदा जाए.

  • पुस्तकालय में पुस्तकें ऐसे स्थान पर रखी जाएं कि बेझिझक उन्हें प्राप्त कर सकें. शिक्षक व अभिभावक का अहम रोल है इस नवाचार में शिक्षक व अभिभावक का अहम रोल है.


अभिभावकों का अहम रोल
इस नवाचार में शिक्षक व अभिभावक का अहम रोल है. सबसे पहले कुछ प्राथमिक पहल की जा रही है. बच्चों के आयु वर्ग के अनुरूप पुस्तकालय में पुस्तकों के क्रय करने बालक विकास फंड, विद्यालय विकास फंड, भामाशाह एवं अन्य स्रोत से किया जाएगा. सभी कामों को जिला निष्पादन समिति के माध्यम से प्रतिमाह होने वाली बैठकों में समीक्षा की जाएगी. शिक्षा अधिकारियों से समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा.


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