Udaipur News: राजस्थान (Rajasthan) में पहली बार केडेवेरिक अंगदान (Cadaveric organ donation) हुआ. यह अंगदान एक ब्रेन डेड महिला का उदयपुर (Udaipur) के गीतांजली मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में किया गया. यहीं नहीं ग्रीन कॉरिडोर बना अंगों को उदयपुर से जयपुर पहुंचाया गया. महिला के अंग 5 लोगों का जीवन बचा पाएंगे. यह अंगदान उदयपुर शहर से सटे नाई गांव की रहने वाली 44 साल स्नेहलता का हुआ. स्नेहलता का डॉक्टर ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था और वह वेंटिलेटर पर थी. परिवार के निर्णय के बाद यह सफल हो पाया.
470 किलोमीटर की दूरी 270 मिनट में पूरी की
गीतांजली हॉस्पिटल में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की टीम के सदस्यों में डॉक्टर पंकज त्रिवेदी ने बताया कि स्टेट ऑर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन(सोटो) द्वारा निर्धारित क्रम व नियमानुसार किया गया. पेसेंट को 12 अक्टूबर 2022 को गीतांजली हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया. यहां डॉक्टर्स की टीम द्वारा 15 अक्टूबर 2022 को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. डॉक्टर्स की टीम द्वारा परिवार वालों को अंगदान करने की सलाह दी गई. परिवार वालों ने मिलकर अंगदान करने का निर्णय लिया.
गीतांजली हॉस्पिटल की टीम के साथ समन्वय बनाया गया. डॉक्टर्स की टीम ने अंगदान के बाद अंगों को रविवार शाम 7 बजे ग्रीन कॉरिडोर द्वारा लीवर व दो किडनियों को उदयपुर से जयपुर के एस.एम.एस हॉस्पिटल, एम.जी.एम हॉस्पिटल के लिए रवाना किया गया. इस प्रक्रिया के लिए जिला पुलिस उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर का विशेष योगदान रहा.
बेटा-बेटी ने लिया निर्णय
अंगों को 430 किलोमीटर की दूरी को लगभग 270 मिनट में पूरा गया. वहीं देर रात ट्रांसप्लांट शुरू किया गया. इधर अंगदान के बाद शाम 8 बजे रोगी के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक उनके परिवारजनों के साथ निवास स्थान की ओर प्रस्थान किया गया. ललित कुमार दलाल (अंगदाता के पति) ने कहा कि वह चाहते हैं कि सब लोग अंगदान के महत्व को समझें और इसकी उपयोगिता को समझे. उनके अनुसार आज उनकी पत्नी के अंगदान से कितने लोगों को नई जिंदगी मिलने जा रही है. समय का कुछ पता नहीं क्या पता कब किसी को क्या जरूरत हो और वैसे भी शरीर को जलाते हैं तो सब अंग जल जाते हैं. ऐसे में वो किसी के काम आए ये ज्यादा जरूरी है. मनन दलाल (अंगदाता के पुत्र) जो कि स्वयं नीट की तैयारी कर रहे हैं व डॉक्टर बनना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बहन सुरभि दलाल दोनों ने निश्चय किया कि वह अंगदान में पूरा सहयोग देंगे क्यूंकि वो आज के युवा है. आज हर युवा को अंगदान के महत्व को समझना आवश्यक है.